बिरखांत 378 - ग्वेल ज्यू कसी बनी द्याप्त

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बिरखांत-378: ग्वेल ज्यू कसी बनी द्याप्त

रचनाकार : पूरन चन्द्र काण्डपाल

उत्तराखंड में ग्वेल/ गोलु/ गोरिल/ गोरिया/ दूदाधारी आदि नामल जो द्याप्त पुजी जांछ आजकि बिरखांत उनुकें कैं समर्पित छ जो उनुमें श्रद्धा धरनी।  भगवान् त निराकार छीं, उनुकें न कैल देख और न क्वे उनु दगै मिल।  फिर लै जब हम परेशान हुनूं, उनुकें याद करनूं।  कुछ लोग मनुष्य रूप में ऐ बेर यतू लोकप्रिय है जानी कि लोग उनुकैं देव तुल्य मानण फै जानी।  यसै एक दयाप्त ग्वेल ज्यू लै छीं जनार उत्तराखंड में कएक मंदिर छीं।  जगरियों (दास) क मुख बै सुणी अद्वायी और कुछ ऐतिहासिक स्रोतोंक अनुसार गोलु देवता जो उ क्षेत्रक रक्षक मानी जानी, जैकि काव्य गाथा मील आपणि किताब “उकाव-होराव” (2008) में लेखि रैछ, उनरि कहानि कुछ यसि छ -

उत्तराखंड में कत्यूरी शासन काल ईसा पूर्व 2500 से 700 ई. तक लगभग 3200 वर्ष रौछ।  य शासन में सूर्यवंशी-चक्रवर्ती राज हईं जनर भौत ठुल राज्य छी। | गोलु ज्यु लै कत्यूरी वंशक राज छी।  उनार बुड़बुबू तिलराई, बुबू हालराई और बौज्यू झालराई छी।  गढ़ी चम्पावती- धूमाकोट मंडल य क्षेत्रक केंद्र छी।  झालराई क सात ब्या करण पर लै संतान नि हइ।  उनर आठूं ब्या कालिंका दगै हौछ जैकैं  पंचनाम द्याप्तां कि बैणी बताई जांछ।  कालिंकाक गर्भ में गोलुक आते ही सातों सौत जलंगल बौयी गाय।  उनूल कालिंकाक प्रसव होते ही एक सिन्दूक में गोलु कैं गाड़ बगै दे और प्रसव में ‘सिल- ल्वड़’ पैद हौछ बतै देछ।  सिन्दूक कैं गोरिया घाट पर एक धेवरल गाड़ बै भ्यार निकाई बेर बालक कैं बचा और बालकक नाम धरौ गोरिया।

जब बालक ठुल हौछ तो एक दिन झालराई –कालिंकाल गोलु कैं स्वैण में ऐ बेर पुरि कहानि बतै कि ऊँ उनार च्याल छीं।  कहानि सुणते ही गोलु एक चमत्कारिक काठक घ्वड़ में भैटि बेर राणीघाट पुजीं जां सात सौत नां हुणि ऐ रौछी।  उनूल सौतों कैं पाणी में जाण है रोकते हुए कौ, “पैली म्यर घ्वड़ पाणी प्यल।” सौतों ल जबाब दे, “काठक घ्वड़ पाणी कसी प्यल?” जबाब, “उसीके प्यल जसी कालिंकाल ‘सिल-ल्वड़’ कैं जन्म दे।” सौतों कैं आपणी करतूत याद ऐ गे।  गोलु ज्यु सौतों कैं रजाक पास ल्ही गईं और पुरि कहानि बतै तो कालिंकाक छाति में बै दूद कि धार बगण फैगे।  तब गोलु ज्यु क नाम दूदाधारी पड़ गोय।  रजल सौतों कैं मौत कि सजा दी जैकैं गोलु ज्यूल ‘देश निकाल’ में बदलै दे।

जब गोलु ज्यु राज बनीं तो प्रजाक दुःख दूर करण में लागि गईं।  उनूल भ्रष्टाचार, अन्याय, गरीबी और अराजकता दूर करी।  उं जन -हितक लिजी सफ़ेद रंगक घ्वड़ में बैठि बेर जनताक बीच में जांछी और सबूं कैं न्याय दिलौंछी | उं एक प्रजापालक और न्यायविदक रूप में भौत लोकप्रिय हईं जैक वजैल लोग उनरि पुज करण फैगाय | उं प्रजा कि भलाई क लिजी कैम्प लगूंछी | जिला नैनीतालक घोड़ाखाल नामक जागि पर ऊँ एक दिन घ्वड़ सहित पाणी में अंतरध्यान है गईं।  गोलु ज्यु ल जां जां लै न्याय शिविर लगाईं वां आज लै गोलु द्याप्तक  मंदिर छीं जनूमें आज लै लोग अन्यायक विरुद्ध फ़रियाद करनी।  उदाहरण क लिजी अल्मोड़ा (चितइ), रानीखेत (ताड़ीखेत), नैनीताल (घोड़ाखाल) सहित कएक जागि उनार मंदिर छीं जां फ़रियाद करणी जानीं।  इनरि फ़रियादल बेईमान या अन्याइ पर मनोवैज्ञानिक दबाव पडूं जैल उ सुधरण क प्रयास करूं। 

ग्रामीण आँचल में स्थानीय द्याप्तों क बहुत ज्यादै थान-मंदिर छीं जनरि पुज में जगरिय-डंगरिय अंधविश्वास क जम बेर तड़क (जमें पशु बलि लै छ) लग़ै बेर सुरा-शिकार कि जुगलबन्दीक लुत्फ़ उठूनीं।  श्रद्धा हुण भलि बात छ पर अन्धश्रधा ठीक नि हुनि।  एक आम आदिम में अमुक द्यप्तक अवतार हुण या नाचण एक देव नृत्य छ (दिवंगत प्रोफेसर शेर सिंह बिष्ट इनुहैं देवनर्तक कूं छी)  किलै कि इनरि बात में क्वे जिम्मेदारी नि हुनि।  वांच्छित परिणाम नि मिलण पर यूं लोग भाग्य या कर्मरेख या कर्मगति बतै बेर पल्ल झाड़ ल्हिनी।  कैं न कैं इनर तीर-तुक्क लागि जांछ।  अत: भगवान कि पुज एक निराकार कि चार हुण चैंछ और कैकै झांस में ऐ बेर क्वे चमत्कार कि उम्मीद नि करण चैनि।  श्रीकृष्णक कर्म संदेश हमूल याद धरण चैंछ।

हवन करण ल द्यो नि हुन।  अगर हवन करि बेर द्यो हुनौ तो देश में कैं लै फसल चौपट नि हुनि।  डंगरियोंल आपणी करामात देशहित में देखूण चैंछ और उग्रवाद पर चुनौतीक साथ नियंत्रण करण में मदद करण चैंछ।  मुशर्रफ आपणी बेगमक दगाड़ ताजमहलक सामणि भैटि बेर फोटो खिचै बेर वापस गो और वापस जै बेर वील कारगिल काण्ड करौ जमै हमार 517 सैनिक शहीद हईं।  बभूतक एक फुक्क यूं डंगरियों-जगरियों और तांत्रिकों ल मुसर्रफ पर मारण चैंछी ताकि वीकि बुद्धि ठीक है जानि।

पूरन चन्द्र काण्डपाल, 28.06.2021

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