सांई बाबा से साक्षात्कार

आजकल हर टीवी चैनल पर सांई बाबा के चमत्कारों और भक्तों की चर्चा है, सांई बाबा के नाम और चमत्कारों से सम्बंधित कई सिरीयल बन और प्रसारित हो रहे हैं। रोज़ किसी ना किसी भक्त को सांई बाबा के दर्शन हो रहे हैं, किसी को नारियल में सांई बाबा दिखायी दिये, तो किसी को पेड पर, और किसी को अपने घर के फ़र्श पर सांई बाबा की आक्रति दिखायी दी। मुझे ऎसा लगता है कि सांई भक्तों के दिल शायद अब इतने बड़े नही रहे कि बाबा जैसा दुबला पतला आदमी भी उनके दिलों में रह पाये। आजकल बाबा के भक्तों की गिनती भी लगातार बढ़्ती जा रही है, हर जगह बाबा के नये मन्दिर निर्मित होते जा रहे हैं। उसी के हिसाब से अब बाबा भी बिजी होते जा रहे हैं, और एक दिन में कई भत्क्तों, टी.वी. चैनलों, फ़िल्म की सूटिंग और मन्दिरों को अटॆण्ड कर रहे हैं।

कुछ दिन पहले एक टी.वी. चैनल पर सांई बाबा की बोलती तस्वीर दिखाकर यह कहा जाता रहा था कि यह बाबा की असली विडिओ है तो कुछ दिन बाद उस विडिओ के बारे में चैनल ने यह बताया कि किसी सांई भक्त ने बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने हेतु बाबा के १०० साल पुराने चित्र में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर बाबा के संदेश को बाबा के बोलते स्वरूप में विडियो के रूप में निर्मित किया है। अभी किसी अन्य चैनल पर यह खबर भी दिखायी जा रही थी कि बाबा खतरे में हैं, अब यह बात मेरे समझ में नही आ रही थी कि आखिर बाबा को क्या खतरा हो सकता है? तो जब मैने समाचार को विस्तार से देखा तो पता चला कि बाबा के मन्दिर पर आतंकवादी हमले की आशंका का समाचार दिखाया जा रहा था।

दोस्तो टी.वी. का एक जागरूक दर्शक होने के नाते मैं पिछ्ले कुछ समय सांई बाबा के ही विचारों में खोया हुआ था। मुझे सांई बाबा के इस ओवरबिजी शिडयूल के बारे में सोच्कर उनसे सचमुच हमदर्दी होने लगी थी। मेरे इस गम्भीर चिंतन का परिणाम था या पता नही क्या हुआ, कि मुझे कल रात सपने में साक्षात सांई बाबा के दर्शन हो गये, जिससे मैं सचमुच हैरान था। लेकिन आश्चर्य का विषय यह था कि मुझे तो बाबा अपने उसी पुराने ब्लैक ऎण्ड व्हाईट कलर में दिखे जैसा मैंने उनकी १०० साल पुरानी तस्वीर में देखा था। बाबा का चेहरा उसी प्रकार बुझा-बुझा सा दिख रहा था और सच मानिये उनका शरीर वैसा ही कमजोर लग रहा था। मुझे बाबा की यह दशा देखकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ, क्योंकि सांई बाबा के भक्त जो उनको ही सब कुछ मानते हैं उनमें से किसी को भी मैंने ऐसी बुरी शारीरिक दशा नही देखी। मैं जब बाबा की दशा की तुलना बाबा के भक्तो से करने लगा तो मुझे और अधिक आश्चर्य हुआ, और मुझे सांईबाबा की हालत इस देश के अन्न्दाता किसी गरीब किसान या खेतीहर मजदूर जैसी लगी जो बेचारा देश के लिऎ अनाज उगाता है, पर खुद एक-एक दाने को मोहताज रहता है। दूसरी ओर वह व्यापारी, साहूकार, जमींदार, नेता और अभिनेता आदि हैं जो इन किसानों से काम करवाते हैं, उनको सपने दिखाते हैं और अपना हर सपना उनकी मेहनत के दम पर पूरा करते हैं। बस यही नहीं ये लोग तो अपना काला धन छुपाने और ईनकम टैक्स बचाने के लिए इन गरीब किसानों की खाल ओढ़ लेते हैं।

टी.वी. का कोई भी चैनल औन कर लिजिए, हर चैनल पर लाफ़्टर चैलेन्ज कार्यकमों का जोर है, जिसमें दर्शक हसें या ना हंसें पर जज जरूर ठठ्ठा मारकर हंसते रह्ते हैं जैसे हम सब को हंसने के ट्रेनिंग दे रहे हों। बाबा की ऎसी दुर्दशा पर पहले तो मैं सिरीयस हो गया था पर इस लाफ़्टर चैलेन्ज के असर से मुझे भी मजाक सूझा और मैने बाबा से पुछा, क्यों बाबा ये क्या कोई इन्कम टैक्स का लफ़ड़ा है जो ये १००-१२५ साल पुराना गेट अप बना रखा है? बाबा चुपचाप मुझे देखते रहे और वह जब तक कुछ जबाब देते, इससे पहले ही मैंने अपने सवाल का समाधान भी कर दिया। मै बोला बाबा आपको क्या टैनशन है, आपके तो हजारों सी.ए. भक्त है, जिनमें से कम से कम ८-१० को तो मैं भी जानता हुं। आपके लिए तो वो बिना फ़ीस के काम कर सकते हैं क्योंकि उनने खुद मुझे बताया था कि बाबा जी की कृपादृष्टि से उनकी प्रैक्टिस धांसू चल रही है। बाबा को शायद अपने भक्तों की तरक्की की खबर पसन्द आयी और मेरी इस बात को सुनकर वह मंद मंद मुस्कराये पर बोले फ़िर भी कुछ नही। जब बाबा ने मेरी इस नेक सलाह पर भी कोई प्रतिक्रिया नही दी तो मैने बाबा को एक और सुझाव दे डाला कि बाबा अगर आपको संकोच हो तो मैं अभी फ़ोन पर आपके भक्त से बात करके आपका टैनशन दूर कर देता हूं।
चाहे मेरी यह बात मजाक में कही गयी थी पर कोरी बकवास कतई नही थी क्योंकि कुछ समय पूर्व ही एक टी.वी. चैनल पर दिखाया जा रहा था कि बाबा के शिरड़ी वाले मन्दिर के ट्रस्ट के पास ही ४५०-५०० करोड रूपयों का फ़न्ड है। मेरे एक सांई भक्त मित्र ने मुझे बताया था कि अगर शिरड़ी में बाबा के डायरेक्ट दर्शन करने हों तो आप को ५ लाख की आजीवन मेम्बरशिप फ़ीस देनी पड़्ती है। वैसे भी मुझे इस देश में सांई बाबा का कोई ऎसा भक्त नही दिखा जिसका वजन ८० किलो से कम और सालाना आय ५-१० लाख रुपयों से कम हो। मेरे कहने का अभिप्राय मात्र यह है कि सभी सांई भक्त बाबा की कृपा से अच्छा कमा खा रहे हैं। अब मेरी एक आम भारतीय वाली अल्पबुद्धि में बाबा के वित्तीय प्रबन्धन की दिक्कतों का अहसास हो रहा था जिस कारण मुझे साई बाबा का वह गेट अप दिखावा लग रहा था। स्वतन्त्रता के पश्चात हमारे देश में बाबाओं और नेताओं की गुद्ड़ी में से लाल और नकद करेंसी निकलने के कई किस्से कई बार अखबारों की सफ़ेदी को काला कर चुके हैं। 

मित्रो मैं ना तो साई बाबा का रजिस्टर्ड भक्त ही हूं, नाही किसी मन्दिर में जाता हूं, जहां तक मुझे याद है केवल एक बार करीब १० साल पहले दिल्ली के लोदी रोड वाले सांई बाबा मन्दिर के अन्दर गया था। पर इस सबके बावजूद टी.वी. और समाचार पत्रों के माध्यम से इतनी जानकारी जरुर रखता हूं कि इस ईक्कीसवी सदी में साई बाबा के भक्तों ने तो मन्दिरों और तस्वीरों में बाबा को सोने चांदी के सिंहासन और मुकुट से विराजित कर रखा है। पर यहां बाबा जिस रूप में मेरे सामने उपस्थित थे उसे देखकर मैं बाबा के असली होने के बारे में कुछ निर्णय नही कर पा रहा था तथा मेरे अंतर्मन में बाबा के प्रति कई कुविचार आ रहे थे। क्योंकि मेरे जैसे नास्तिक (मेरे जानने वाले तो मेरे बारे में यही विचार रखते हैं), जिसने बाबा को कभी याद नही किया को यह समझ में नही आ रहा था कि आखिर क्यों बाबा मुझे दर्शन देने विशेष रूप से आये हैं।
मैं इसी उधेड़-बुन में लगा रहा और बाबा बस मेरी तरफ़ देखकर मंद मंद मुस्क्रराते रहे, मैने अपने प्रश्नों का खुद उत्तर दे दिया पर बाबा फ़िर भी मुसकराते रहे तो मुझे बाबा के धैर्य को देखकर खीझ सी होने लगी। पर बाबा यथावत मुसकरा रहे थे जिससे बाबा के बारे में मेरा एक डाऊट तो क्लीयर हो गया कि ये असली सांई बाबा ही थे, क्योंकि दोस्तो इस सदी के किसी भक्त या भगवान में इतना जबर्दस्त पेशेन्स सम्भव नही है। अब मैं चुपचाप अपनी बातों पर बाबा की प्रतिक्रिया जानना चाह रहा था, पर बाबा पुर्ववत मुस्करा रहे थे। बाबा के इस प्रकार मुस्कराते रहने से मेरी ये शंका भी निर्मूल साबित हो गयी कि बाबा को कोई टैनशन है, क्योंकि हमारे यहां अब लोग तभी मुस्कराते हैं जब उनकी वजह से कोई दूसरा टैनशन में हो। बाबा की मुसकराहट ने बिना कुछ बोले ही मेरे सारे प्रश्नों का उत्तर दे दिया था और इस बात से मेरा हृदय सचमुच बाबा के प्रति श्रद्धामग्न हो गया था। जल्दी में मुझे कोई नया प्रश्न भी नही सुझ रहा था, पर आखिरकार मेरे टी.वी. न्यूज चैनल देखने वाले दिमाग में एक नया प्रश्न कौंध ही गया। 

मैंने बाबा से निवेदन किया कि बाबा मुझ अबोध ने अगर अपने प्रश्नों से आपको ठेस पहुंचाई हो तो उसके लिए मै आपसे माफ़ी चाहता हूं, पर आपको मेरे इन प्रश्नों का उत्तर तो देना ही पड़े़गा। पहला प्रश्न यह कि आप के भक्त आपको अपनी समृद्धि के उन्माद में जिस रूप में स्थापित कर रहे हैं आपका अपना रूप उसके एकदम विपरीत है। दूसरी बात यह कि मुझे आपके साथ आधा घण्टे से भी ज्यादा हो गया है पर आपने मुझे ऎसा कोई चमत्कार नही दिखाया जिससे मैं आपकी उपस्थिति को आम लोगों के समक्ष साबित कर सकूं। पर जबाब देने के बजाय बाबा ने मुझसे ही प्रश्न एक पूछ लिया कि, बेटा क्या तुमने मुझे कभी पहले देखा था? मैने उत्तर दिया, बाबा साक्षात तो मैंने आपको पहली बार देखा है, पर आपके किसी भक्त की दुकान में लगी तस्वीर में आप इसी रूप में दिखाये गये है और मेरे मित्र ने मुझे यह बताया था कि वह आपकी एकमात्र असली तस्वीर है और कई टी.वी. चैनल्स पर भी वही तस्वीर आपके असली चित्र के नाम पर दिखायी जाती है।

बाबा मुझसे बोले, बेटा यह तेरा विश्वास है कि मैं सांई बाबा हुं, और ये विश्वास किसी और के कहने पर कर रहा है, क्योंकि असल में तो वह और तू दोनो ही, तब थे ही नही जब सांई अपने मानव रूप में इस धरती पर रह्ता था। इसी प्रकार इस संसार में सभी लोग हैं जो ईश्वर के द्वारा किये गये कार्यों का श्रेय खुद या किसी और को देते हैं। वास्तव में ईश्वर ही एकमात्र सत्य है या यह समझ ले कि सत्य ही ईश्वर है, और वह जो करता है मानव मात्र के कल्याण के लिये ही करता है। मनुस्य ने अपने चारों ओर एक मिथ्या का जाल बुन लिया है जिसके अंदर वह खुद उलझकर रह गया है। अगर सांई सत्य है तो वह भी ईश्वर है, पर ईश्वर भक्तों और अन्य का कोई भेद नहीं करता है। ना ही ईश्वर किसी स्थान विशेष पर पाया जाता है वह तो सर्वव्यापी है और हर ईन्सान के हृदय में निवास करता है। मेरा कलयुगी मस्तिष्क बाबा की इन गूढ़ बातों को ना समझते हुये भी बड़े ध्यान से सुने जा रहा था।
बाबा फ़िर बोले इस संसार में मनुस्य हमेशा अपने से अधिक समर्थ व्यक्ति सम्पति की ओर लालसा से देखता रहता है, पर वह यह नही देखता कि उससे भी बुरी दशा मे कई लोग अभावों की जिन्दगी गुजार रहे हैं। फ़िर मुस्कराते हुये बोले जिन लोगों को तुम मेरा रजिस्टर्ड भक्त मानते हो, उनने अपनी मेहनत से काफ़ी सम्पति प्राप्त की है, और उनका विश्वास है कि यह सांई की कृपा से हुआ है। अब उनका मन सम्पति के मद में मुझे मेरे इस लिबास में स्वीकार नही कर पा रहा है और उन्होने मुझे मेरी तस्वीरों और मुर्तियों में सोने चांदी से लाद दिया। ना तो मै अपने आप को बदल पाया और ना ही वह अपने आप को नही बदल सकते हैं, बाबा मुझसे मुस्करात्स हुये आगे बोले कि, तू मेरा रजिस्टर्ड भक्त है नही इसीलिए तुझे मैं इस वास्तविक रूप में दिखायी दे रहा हुं। 

इस तरह अब सांई बाबा लाईट मूड में आकर मेरी ही खिंचाई करने लगे और बोले, तू चमत्कार देख्नना चाहता है ना, पर चमत्कार मैं अपनी रजिस्टर्ड भक्तों को ही दिखा सकता हूं। अगर तू भी रजिस्ट्रेशन करवा ले तो फ़िर तुझे एक नही सैकड़ों चमत्कार अपने आप दिखायी देंगे जैसे टी.वी. पर रोज बताया जाता है। लेकिन अचानक एक अलग तरह का चमत्कार हुआ और सांई बाबा अंतर्धान हो गये, मै देखता ही रह गया और सोचने लगा कि अगर मालुम होता तो ज्यादा दार्शनिक बातों में समय नष्ट करने के मतलब की बात करता तो शायद अन्य सांई भक्तों की तरह यह जन्म तो सफ़ल हो जाता। दोस्तो मेरे इस सांई बाबा से साक्षात्कार पर मेरे घर वाले भी विश्वास करने को तैयार नही हैं तो आप या मिडिया वाले तो कभी भी नहीं करेंगे। क्योंकि इस एक घण्टे के साक्षात्कार में बाबा का कोई चमत्कार भी शामिल नहीं है, जिस कारण अब मेरे पास इस साक्षात्कार का कोई अन्य प्रमाण भी नही है।
दोस्तो आज भी मैं सांई बाबा का रजिस्टर्ड भक्त नहीं हूं और ना ही किसी सांई मन्दिर में जाता हुं, क्योंकि उस जगह आज से १०-१५ साल पहले बाबा का कोई मन्दिर भी नही था। मेरा सांई बाबा के प्रति एक संत के रूप में तब भी उतना ही विश्वास और संम्मान था जितना अब उनके सैकड़ों मन्दिर बन जाने और उनसे साक्षात्कार हो जाने के उपरान्त है। मै ये मानता हुं कि लोगों को समाज के प्रति उनके दायित्व का बोद्ध कराने के लिऎ इस भारत भूमि पर जिन महान विभूतियों का अवतरण हुआ, सांई बाबा भी उनमें से एक थे। आप सांई बाबा के रजिस्टर्ड भक्त हों या ना हों पर मेरी प्रार्थना है बाबा बिना किसी चमत्कार के आप की सुकार्यों को सफ़ल बनायें तथा मिडिया वाले भी बाबा के चमत्कारों को दिखाने की बजाय बाबा के संदेश को जन में प्रचारित करें तो बाबा के भक्तों और इस देश का सचमुच में हित होगा।

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2 टिप्पणियाँ

kavi ने कहा…
bahut accha blog hay....keep it up...kavindar farswan from Dehradun
kavi ने कहा…
bahut accha blog hay....keep it up...kavindar farswan from Dehradun