
शकुनाखर (सेली'क् गीत)
तारा पाठक (आमा कोचिंग सैंटर)
माई सोने का गडु़वा ले हो, रूपै की थाली ले हो।
माई तापर करिये आरती।
माई लाल लहंगा ले हो,कुसुंब अंगियां ले हो,
माई जरद डनियां ले हो,पीली चूनर ले हो।
माई तापर करिये आरती।
अंगना सों चंदन लिपाइ राखो, गजमोती चौक पुराइ राखो।
तैसो चौका बैठाला पंडित रामी चँद्र,पंडित लछीमण।
करहो सुभद्रा देही आरती, करहो अन्नपूर्णा देही आरती।
आरती डारूं मैं रोक रुपय्या, सहत्र रुपय्या,
हंसि हंसि देली अशीष ए।
तैसो चौका बैठाला(परवारा बैगों और च्यालों नाम)
करहो (परवारा चेली बेटियों नाम)सबै बहिना आरती।
आरती डारूं मैं रोक रुपय्या,आरती डारूं मैं सहत्र रुपय्या।
हंसि हंसि देली अशीष ए।
चिरंजीवी रहो मेरे दादी के जाये,ताई के जाये।
मइया चाची के जाये, भाभी बहुवा के जाये।
जिन पैराई है चूनर,जिन मोलाई है चूनर,
जिन घर बजत बधाइ ए,जुग जुग जियो मेरे बीरन।
(शुभ काज में ज्यूंती पुज (जीव मात्रा) क् बाद बैणी आरती उतारनी। कांसै थाइ में ग्यूं पिसियैल दी बणाई जानी उं दियों में घ्यू भरि बेर बत्ती जलाई जें।आरती थाइ कैं भौत कलाकारील सजाई जां।बैंणी ,बुआ जो बर ब्योली आरती उतारनी उनरि थाइ में रुपैं नेग दिई जां। बैंणी खुशि है बेर अशीष दिनी ,तुम जुग जुग जिया ,तुमूल हमन यो चुनरी मोलै, पैरै ,तुमार घर शुभ काज होते रूंन।)
फोटो सोर्स गूगल

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