
-:गांधी ज्यू आजाक संदर्भ में:-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
गाधीज्यूक विचारनाक दगै आज भौत मैंस मनसान न्हातिन। पर गांधी एक ऐस विचार ,एक ऐस युग बण चुक गेयीं कि उनौर जिकौर और उनार बार में हमौर चिंतन कैं न कैं प्रभावित तो हुनै छु जाण और अंजांण में। गांधी ज्यूल जो पुर देश में एक सामाजिक चेतना, सुधारात्मक, सकारात्मक विचार प्रस्तुत करीं और हमार दैनिक जीवन बै ल्हिबेर हमौर पुर जीवनैकि दैनंदनी कं छुगौं उकं क्वे नि भुल सकन।
मैं तो गांधीक जमानाक बाद पैदभयूं तो फिर लै जतुलै मकं पत्त छु, मैंल पढ़ राखौ वील कै सकूं कि उनूल जो दुसरन थैं कौ वी आपण जीवन में चरितार्थ करौ।
म्यार मन में उनरि जो छवि बणी उ निसंदेह एक निभुलणी तथ्य छु। हम गांधी बण बेर चौबीस घंट में एक घंटे लै नि रै सकना। गांधीज्यु कं हम नक-भल कै सकनूं उनौर अनादर और आदर लै करनूं उनन पर काथ लेख,भाषण दि सकनूं उनौर नाम ल्हिबेर ,दिखावा कर बेर भौत न्हैल सत्ताक मलाय लै खै और आय लै उनार नानतिन मौज मनूणयीं पर क्षण भर लै उनौर जौ जीवन जि नि सकना हम।
गांधीं पिछिल सौ बरस बै मैसनैकि उ पायदान बणी हुई छन जमें खुट टिकैबेर 'चैनाकचुपाड़ गुल्पियाक ड्यौढ़' करणयीं। हम सब आजाक दिन प्रातः स्मरणीय शास्त्री ज्युकं याद करनु पर उं लै गांधीज्यूक सिद्धांतों में चलि बेरै इतु ईमानदार ,निश्छल, वीतरागी कर्मठ राजनीतिज्ञ बणी। ऐसिकै कई जनसाधारण बै असाधारण मनखी बणी गांधीज्युक अनुशरण कर बेर। गांधीज्यु न तो पाश्चात्य सभ्यताक न हमैरि प्रचलित तत्कालीन जीवन शैलीक अनुगामी छि बल्कि इन द्वियै प्रकाराक मध्य सेतु समान उनैर विचारधारा छि।
उनूल सार्वजनिक जीवन में अनेक प्रकाराक प्रयोग करिं जनन में उनन कं प्रशंसा और निंदा मिली। राजनैतिक जीवन में उनूल जो सिद्धांत बणयीं और उनौर गलत अर्थैल आज जांलै अनर्थ हुणै में छु जैसी धरना,जिद पुरकरणाक वास्ते अनशन ,हर बात पर आंदोलन आदि। लोग कुनि देश विभाजित करौ जो परिस्थिति उ बखत 'जिना',परोक्ष रूपैल जवाहरलाल नेहरू आदि नेतानैलि पैद करि वीक मकड़जाल में गांधी जौ मैंस फंस गो और उसी लै इतु विधर्मी तो संभालण मुश्किल है रौ ऐल कस हुन।
आदरणीय पटेलैल संभाल लै तो ऐल पुर एक राष्ट्र देखीणौ,नंतर के हुन खैर ऐल हम आज गांधी ज्यूक फसक करणैयां तो इतु सबनैल जाणन और समझण चैं कि गांधीज्यूक मंशा कभै लै देश विरोधी और हिंदुत्व विरोधी न्है छी वरन सुधारात्मक छि,"उदार मना और विशाल मना"छी पूर्णमानवता ,सर्वधर्म समभाव वादी। असल में जो समग्र अखंड भारतौक स्वैण उनूल और उनार जास और लै मनखिनैल देखौ वीक लिजि सागर जैसि गहराय, वृक्ष जै उदारता, अगास जै विशालता और ऊंचाय सबनाक मन में हुण चैं।
"हम है हम छां" यो सिद्धांत जब मन में घर कर जां तो परिवार ,समाज,देश एक नि रै सकनन।हम सबनाक मन में विलक्षण सहनशीलता और असीम उदारताक जरवत छु।योयी उ लक्षण छन जो हमार पूर्वजनैल गांधी ज्यु में देखीं और उनार पछिल हिटपणींऔर देश में इताण ठुल आंदोलन लगभग तीस बर्स जांलै चलौ।आज हम बखत बखत पर आपण सुविधानुसार गांधीज्यूकं याद करनूं और फैद उठूनूं।
उनार मूल जीवन संदेश आब कत्थप न्है ग्यान पर आज लै जसिक कबीरदास और रहीमदास ज्यूक दोहा सबद सटीक और सामयिक लागनी उसिकै गांधी ज्यूक जीवन एक भारतीय जीवन पद्धतिक लिजि अनुकरणीय छु।
नोट--पुर लेख पढ़िया तबै भल नौक लेखिया,सबनौक स्वागत छु ।
मौलिक
मौलिक, अरुण प्रभा पंत, 02-10-2021
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