
जोग्याण भाग-०१
रचनाकार: सुरेंद्र रावत
नमस्कार, पैल भागछु हो, 99 भाग और छन।
जरा गौर करिया।
एक छी जोग्याण भागी, जो छी भौते बान हो।
जोग्याण की ज्वानी देखी. जोगी परेशान हो।।
गौंक सारै लौंड मौंडोक, जोग्याण पारी ध्यान हो।
जोगी परेशान दाज्यु, जोगी भौते परेशान हो।।
एक दिनक बात हो,हाय जुन्याली रात हो।
जोग्याण दगड़ी है गे, मेरि लै मुलाकात हो।।
पुन्यो कसी जून जसि,चमचमानी दांत हो।
झील जस आंख उनिक,मखमलीया हाथ हो।।
गोरि मुखड़ी जोग्याणकी,ज्वानी क सैलाब हो।
सारै तन बदन उनिक,पाणिक तलाब हो।।
रूपकी चकोर जसि,ग्यनों कसी बाल हो।
जोगि बनी जान एगो मनमजी ख्याल हो।।

Part 1 जोग्याण
ॐसूरदा पहाड़ी, 20-10-2019

सुरेंद्र रावत, "सुरदा पहाड़ी"
0 टिप्पणियाँ