
हमार गध्यार
लेखिका: अरुण प्रभा पंतउत्तराखंड एक ऐस हिमालयी भारतीय राज्य छु जैक गठन ९ नवंबर २००० सन् में भौ जो भारत गणराज्जौक २७वीं राज्य बणौ। २००० बै २००६ जांलैं यैक नाम उत्तरांचल छी फिर यांक मैसनैक इच्छानुसार यो राज्यौक नाम जनवरी २००७बै उत्तराखंड हैगो। यो राज्यैक सीमा उत्तरप्रदेश, उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल दगै लागी छन।
आब यांक जो मुख्य आंतरिक पैहचाण छु उ यांक गाढ़ गध्यार डान कान भ्या। कुमाऊनी में नान नान उच्च निच्च जल प्रवाहिनी कं गध्यार कुनन, ठुलठुल भया तौ गाढ़ कुनन और जो सदानीरा सदा प्रवाहिनी छन उ तौ नदी भाय, ऐस मोट तौर पर मानी जां। नदीन में अत्ती है अत्यधिक जल राशि प्रवाहित हुनेर भै। गाढ़ गध्यार रूढ़ (गर्मी) पड़ी में सुक (सूख) लै जानन, क्वे क्वे सदा नीरा लै हुनन।
गाढ़ कं हम एक जांठाक सहारैल पार कर सकनूं किलैकी जाग जाग ढुंग,गंगलोढ़ स हुनी और खुट टेकते हुं हम आरामैल गाढ़ तार सकनूं (पार करना)। गाढ़ तारण में चौमास और अचानक डान पार हैयी बर्ख कभै कभै घातक लै है सकैं और हम वीक प्रवाह में बग(बह) सकनूं,कभै कभै जलभंवरन में भबरी बेर भालभाल बौंकाटणी (तैराक) जान गवैं बैठनी।
गध्यार कभै लै सिद्द नि हुंन उच्च निच्च हुनी। अतः तेज पाणिक बहाव में मैस फंस गयौ तो बचण लै मुश्किलै भौय। कुछ गध्यार चौमास में रंग दिखूनी अन्यथा सुक रूनीऔर अनेक गध्यार अनेक पौराणिक और प्रेतात्मक काथ किंवदंतील गौं ग्वैठन में भरी पड़ी छन। कुछेक गध्यार ऐतिहासिक घटना घटी हुणा कारण हमार इतिहासाक पृष्ठ लै छन।
चलौ गध्यार'नैक सैर करनूं:-
१. भालू गध्योर और हाथि पोखर:-
यो पुर इलाक वन्यजीव जंतु चाड़, किस्म किस्मांक बोटनौक स्थल छु।यां पाई जाणी वाल भाल और हाथिनाक कारण मैक नाम भालूगधेरा और हाथि पोखर (ताल) पड़ौ। यांक मांछ (मछली) लै प्रसिद्ध भाय। यांक चोरगलिया नामक इलाके में जो हाथि पोखरा छु वहां पैल्ली हाथि पाणि पिण हुं उछीं बल यैक मल्लब यो भौय कि यां मस्त (बहुत) पाणि हुन्हौल तब। यां एक "शेर का डांडा" नामक जाग में पैल्ली शेर ,बाघ उंछीबल पर अब कभै कभै बाघ दिखीनी बल। हल्दू बोटनाक कारण हल्द्वाणि नाम पड़ यांक गध्यारनाक आसपास कभै भाशि (घने) जंगल छि बल।
२. फांसि गध्योर:- नैनताल में छु। १८५७में गदर में हिस्स ल्हिणी वाल यांक मैसन कं यो गध्याराक किनार बोटन में तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर सर हेनरी रैमजेल फांसि लटकै दे सैकड़नैक संख्या में, तब बै यो गध्योरौक नाम "फांसि गध्योर" पड़ि गोय और यो गध्योर यांक मैसन कं स्वतंत्रताक आंदोलन में भाग ल्हिणौक चश्मदीद गवाह बण गोय।
३. ग्वालीगैर गध्योर:-योलै अल्माड़ क्षेत्र में छु, और चौमास में भौत्तै खतरनाक है जां जैक कारण चौखुटिया खीड़ामाईथान मोटर मार्ग बाधित है जां और मैक नजीक असेटी,बगड़ी गौं भौत नुकसान में हैजानी।
४.मुस्कीत गध्योर:-बेताल घाटौक मुस्कीत गध्योर चौमास में विकराल है जां।
५.कैलखूर गध्योर:- यो सोमेश्वर रनमन ताकुला क्षेत्र में उं।यैक विषय में ऐस मानी जां कि यो गध्योर नर बलि ल्हुं बल। यांक एक चौड़ ऐस आवाज निकालुं कि भल भल मजबूत कल्ज वाल लै डर जानन बल।
एक काथ यांक पुराण जणि कुछीं-
एक निर्धन मैसैक चेलिक ब्या एक सम्पन्न घर में है गोय।ब्या बाद उ रिवाजाक मुताबिक आपण मैत आय और खूब जेवर गहण पात (आभूषण) पैरी भाय वील।जब उ वापस आपण सौरास जाण लागि आपण बाबुक दगाड़ तो वीक बाब कं लालच ऐ गोय वील बाट में आपण चेलि थैं सब जेवर उतारणाक लिजि कौ कि "यो भाशि जंगल (घना जंगल) में खत्र छु", तो उ नानी नानि चेलिल आपण सब गहणपात आपण बाबू कं उतार बेर दिदी। फिर वील सोच कि यैक सौरास जै बेर तो सब जेवर वापस करण पड़ाल। अतः अचानक वील आपण चेलि कं दमोरण (मारना) शुरू करदी तो चेलिल आर्त स्वर में याचना करि "निमारौ बौज्यू अत्ती पीड़ हैगे"। पर वीक बाबुक मन में राक्षस सवार भौय वील उकं मार बेर कैलखूराक गध्योर बै आपण चेलि कं घुरै दे और वीक सौरास में कै दे कि "भ्योवन बै तुमरि ब्वारि घुरि गे"।
तब बै वांक एक चड़ "निमारौ बौज्यू अत्ती पीड़" कूं बल। ऐसी और लै भौत स्थानीय नान नान गध्यार छन जनैरी लै कत्तु पौराणिक,प्रेतात्मक काथ किंवदंती छन। बेरीनाग, कौसानी पिथौड़गढ में गढ़वाल मंडल में गध्यारनैक भरमार भै।पुराण मैंस या तो दिवंगत है गयी या फिर उनन थैं क्वे पुछणी वालन्हा जो यो सब काथ किंवदंती पत्त लगै सकौ।नय छांणिक मैसनैल जब आपण बोलि भाषै छाड़िहै तो इनार बार में के जाणांल!
हमार कुछ गध्यार विकासाक भेट लै चढ़ि गेयीं या जंगल काटणाक कारण या जंगल जय (जल जाने) जांणाक कारण है हरै गेयी। भौत पैल्ली जब घरन में शौचालय न्हैंछी तो अज्ञानी मैंसनाक कारण या शौचालयैक सुविधाक अभाव में गध्यारन में शौच करण हुं जांछी जो अब भौत कम है गो और अब संभवतः समाप्ती ओर छु।
जै लै हौ यो गध्यार वांक परिवेश और प्राकृतिक सौंदर्याक लिजि एक आवश्यक भू संरचना भै।
अरुण प्रभा पंत

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