चेली त्यार कदु रूप


कुमाऊँनी कविता, चेली त्यार कदु रूप, poem in kumaoni about different roles of a girl,kumaoni bhasha mein beti par kavita, kumauni kaivta

चेली त्यार कदु रूप

रचनाकार: चम्पा पान्डे

कन्या रूपलै जन्म लिबै,
म्यर कौख धन्य कर दियौ,
आपण नान नान खुट् धरि बै,
म्यर घर शुद्ध करि दियौ,
त्यर आयी बटी म्यर आदु दुःख हैगौ दूर,
चेली त्यर कदु रूप..... चेली......।

आब मणि हिटणी है गई तू,
ढुमढुम वॉर -पॉर जाण भै गेई तू,
मीं बण बै आयौ मीकै देखि,
मुल्ल हसि जानि हेइ तू,
तेरि हसनि मुखड़ी देखि,
मेरि सारै पटै है जानि हेइ दूर,
चेली त्यर कदु रूप...... चेली........।

बैणी या दीदी रूप में लै,
निभाछै तू ठुल जिम्मेदारी,
भै हाथम रक्षा बाद बे ,
दिखाछै आपण रिश्तक निशानी,
त्यौर आपण भै प्रति,
यौ प्रेम- भाव देखि बे,
म्यौर मनम खिलनी फूल,
चेली त्यर....... चेली.......।

म्येरि चेलि सयाण हैगे,
एक घुटुक चाहा पाणि,
हा्थ पर दिण ला्गगे,
था्क पटै बै आयौ तो चेली,
यौ कर चेली उ कर कौय,
आब मेरि चेलि म्यर,
हा्थ खुट सारणि हैगे,
त्यौर यौ काम करणौक,
सीप कैं देखि बे,
मेरि आदू चिन्ता हैगे दूर,
चेली त्यर .......चेली त्यर......।

आब मेरि चेलि पढ़लिख बे,
आपण खुटा में ठाड़ हैगे,
भ्यार भितेर सब,
जिम्मेदारी समाउणी हैगे,
आब मन में एक चिन्ता जसि लै हैगे,
कैं मेरि चेलि बियौंण तो नी हैगे,
त्यर ब्याक बात सोच बे,
म्यौर आंखम बै छुटनी तुहुड़,
चेली त्यर ......चेली.....।

मेरि चेलि बियायी गे,
पर घरक भा्न हैगे,
जो बेई तक मेरि लाडेलि छी,
उ आज कैकि ब्वारी हैगे,
जो मेरि आस छी,
आब कैकी रास हैगे,
सौराश में तिकैं मानी जां माता लक्ष्मी रुप,
चेली त्यर कदू....... चेली......।

आब मेरि चेलि लै इज बन गे,
कैकै चाची कैकै ताई बन गे,
कैकै नानी तो कैकै आ्म लै बन गे,
त्यर महिमा त्यर यौ माया देखि बे,
म्यर दिमागम लै पड़ गे धूल,
चेलि त्यर कदू रूप चेली त्यर.......।
धन्यवाद
*चम्पा *पान्डे*, 26-04-2018

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