मीठी 334 - रक्षाबंधनक त्यार

रक्षाबंधनक त्यार - कुमाऊँनी कविता, kumaoni poem about raksha Bandhan festival, raksha bandhan, kumaoni bhasha ki kavita

Raksha bandhan: रक्षा बंधन

मीठी-334: रक्षाबंधन क त्यार
रचनाकार: पूरन चन्द्र काण्डपाल

रक्षाबंधन  क  त्यार
भै बैणियां क प्यार,
भै क भरौस बैणि कैं
बैणि क भरौस भै कैं।

क्वे दूर क्वे नजीक
राखी में याद वीक,
कैं भै दगाड़ बैणि भैजीं
कैं लिफाफ में राखी ऐजीं।

त्यारों क रां सबूं कैं इंतजार
घर ऐ जानी जो छीं भ्यार
त्यार-ब्यारों कि चली छ रीत
जतू त्यार उतू गीत संगीत।

सबै त्यार मिलन सार
त्यारों ल बढ़ते जां भैचार,
मनखी रैजां  धारै धार
मेल करै दिनी हमार त्यार।

रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस कि शुभकामना।
पूरन चन्द्र काण्डपाल, 15.08.2019

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