बैणी - कुमाऊँनी कविता

बैणी - कुमाऊँनी कविता, poem in kumaoni about love and affetion among sisters,kumaoni mein bahno par kavita,kumaoni kavita

बैणी

रचनाकार: रेखा उप्रेती

कस भल सुणी
मैत आयि
बैणियाँ'क
खितखिताट

लगिल जा उनार बात
झिट्ट में कत्थ
पूजि जानि
केs नि रूनि
सुदि -बुधि
का'न बुड़ि खुटाँ पीड़
धरियै रै जैं
खुटकूँण में

उनरि पुन्तुरी में
बादि रूनि
नानछिनाँक
आपणि कुड़िबुद्धि
आम-बड़बाज्यू'क नड़क
इज'कि मार
बाबु ल्यायि बिलैन मिट्ठै
झाल में लागि
काकड़ फुल्यूड़

पाटि'क झोल
किल्मोड़ि'क का'न
पितलै'कि बेलि
गोरु'क छान
नौव'क पाणि
डूबुक रैत ठठ्वाणि
के नि भाय
बाता'क
रत्थ-बत्थ
एक'ल शुरू करि
दुसरि ल्ही जैं कत्थ

दिगौ !!
जाड़ बटि उखाड़ि
रौपि भाय
क्वे कैं क्वे कैं खोपि भाय
कां हुनैर भैइ रोज भेंट-घाट
तबै त
जब आयि हुनि मैत
फोकि दिनि
आपण क्वाठ में लुकाई
खितखिताट
(रेखा उप्रेती)
30-07-2020

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