
गुड़ होता गुड़झोली करती..............
(कुमाऊँनी रैसिपी)
घुघूती बासूती
गुड़ होता गुड़झोली करती
आटा लेती उधार
पर क्या करूँ घी नहीं है।
अहा, गुड़झोली! माँ उपरोक्त कहावत तो सुनाती थी किन्तु उन्हें यह पता नहीं था कि उनकी बेटी जीवन भर कहती रहेगी...
ठंड होती गुड़झोली करती,
ठंड होती रजाई ओढ़ती,
ठंड होती आग सेकती,
ठंड होती गाजर का हलवा खाती,
ठंड होती मक्की की रोटी, सरसों का साग खाती !
ठंड होती तो ठंड का आनन्द लेती।
किन्तु यहाँ तो हाल यह है कि ठंड को भूल ही गई हूँ। पहाड़ की बेटी ठंड को तरसती है। पढ़ती है, लोगों का लिखा कि गजब की ठंड हो रही है, कुहरा है, कहीं हिमपात है। टी वी पर ठंड देखती है, लोगों के ब्लॉग्स पर ठंड देखती है। ए सी चलाकर ठंड क्या होती है, याद करने की कोशिश करती है। पिछले ३३ सालों में केवल सात सर्दियाँ देखी हैं। ठंड देखे २० साल बीत गए हैं। अब तो लगता है कि शायद ठंड सहन भी न कर पाऊँ।
खैर, मेरे उत्तर भारतीय, अमेरिका और यूरोप में बसे मित्रो, आप ठंड सहिए, उसका आनन्द लीजिए। एक आध ठंडी हवा का झोंका मेरी ओर भी भेज दीजिए। और हाँ, गुड़झोली पीकर ठंड भगाइए।
गुड़झोली को एक कुमाऊँनी मीठा सूप कह सकते हैं, या बेहद गीला हलुवा, जो पीने योग्य हो। गुजराती में इसे राब कहते हैं शायद।
सीधी सादी गुड़झोली गुड़, आटे व घी से बनती है और पानी भी डलता है, चाहें तो दूध डाल सकते हैं। माँ बताती हैं कि जब १९४० के लगभग अकाल पड़ा था तब पिताजी ने मुम्बई में रहते हुए ही किसी तरह आटे और गुड़ का जुगाड़ करवा दिया था, दूध, घी तो घर का ही था। बड़ी कड़ाही में गुड़झोली बनती थी और पूरा परिवार तृप्त हो जाता था।
यह ठंड से बचने का अचूक पेय है।
बनाने की सामग्री:-
आटा गेहूँ या बाजरे या मडुए/रागी का १ बड़ी चम्मच
घी २ बड़ी चम्मच( कम पसन्द हो तो १ बड़ी चम्मच )
गुड़ का चूरा १/४ कप ( कम पसन्द हो तो स्वादानुसार कम किया जा सकता है। )
पानी या दूध २ कप
चाहें तो ये सब भी डाले जा सकते हैं:
बादाम बारीक कटे हुए १ बड़ी चम्मच
अजवाइन १/२ छोटी चम्मच
२ लवंग
एक छोटा टुकड़ा दालचीनी
सूखे अदरक का पावडर १/४ या १/२ छोटी चम्मच
बनाने की विधि:-
घी को कड़ाही में गरम कर यदि अजवाइन,लवंग, दालचीनी के टुकड़े आदि डालने हैं तो वे सब डालें।
अब आटा डाल हल्का सुनहरा होने तक भूनें। दूध या पानी और गुड़ डालकर चलाते रहिए ताकि गाँठें न बनें।
बारीक कटे हुए बादाम डालें। अदरक का पावडर पसन्द हो तो वह डालें। थोड़ी देर उबलने दें।
सूप की तरह गरमागरम पीयें। चाहें तो चुटकी भर काली मिर्च का पावडर भी डाल लें।
अनुपात अन्दाज से दिए हैं। स्वादानुसार घटा बढ़ा सकते हैं।
वैसे तो केवल आटे, गुड़ घी और पानी से भी यह बढ़िया बन जाता है।
तभी तो 'घर में नहीं दाने अम्मा चलीं भुनाने' वाली कोई कुमाँऊनी आमां(दादी, नानी)के पास न गुड़ था, न आटा, न घी और चाहत थी गुड़झोली की सो बोली...
गुड़ होता, गुड़झोली करती
आटा लेती उधार
पर क्या करूँ, घी नहीं है।
किन्तु मैं कहती हूँ..
क्या करूँ ठंड नहीं है!
नोट: सूखी खाँसी में गुड़झोली पीने से बहुत आराम मिलता है।
घुघूती बासूती, 10-01-2010
फोटो: काफलट्री पोर्टल से
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