
रावण ज्यू मिल ग्याय
लेखक: राजेंद्र सिंह भंडारी
अचानक रावण ज्यू मिल ग्याय - मैलि पछाण हाल, बिलकुल वी पुराण गेटअप में दस ख्वार बीस हाथ, भयंकर डील डौल। मेकें देखते ही हा हा हा हा हा हा हा करण बैठ गे। बाबाहो मेकें तो तरास जस लागि गे। आवाज इतुक गर्जना वालि भै कि कान टोव जसि पडि गे।
जरा मी सामान्य भयूं तो मैलि कोय - बुबू पैलाग।
रावण - को छै रे तू ...? और मैं तेर बुब कसिके भयूं रे। मेर तो खानदान रामचन्द्र ज्यू लि मारि हालछी।
मैलि कौ - हाय, कसि बात करनौछा..। तुम ले बामण मैं ले बामण, यो रिश्तैलि तुम म्यार बडबाज्यू हैगेया।
रावण - (गुस्स में ऐबेर ) - कां तु डेढ हड्डी क कां मी डील डौल वाल, कां तुम लिन् बामण और कां मी वेद शास्त्रनक पारंगत प्रकांड पडित..। कां जोडनछै रे मेर दगाड रिश्त ...! त्वकें एक सकल्प करूण ले भलिके नि उन हुन्योल रनकारा। मील रावण संहिता जस ग्रन्थ रचि भै.. शिव तान्डव स्त्रोत'क नाम सुणी राखछै नै? वीकि रचना मैलि करी, उ त्वेकैं शुद्ध पढण ले नि आ। मैं तो कवि ले छ्यूं.. कतु कला न में पारंगत.. मेर जस को भो यो ब्रह्माण्ड में।
मैलि कौ - उ .. कवि तो मैं ले छ्यू। तुमरि चारि मैं ले उच्च कुल में पैद हयी छ्यूं। मैं उच्चकुलीन ठुल धोति क बामण भयूं कुमायूं मण्डलक।
रावण - आब जतुक कवि छन सब मेर नाति थोडि है जाल और उच्च कुल में हैबेर त्वीलि कि करि राखौ अनोखै। तु पैद है पडी भये उच्च कुल में, त्योर के योगदान नै।
मैलि कौ - मैं ले तुमरि चारि भुटुवा लैग पीस कलेजी वगैरह सब पचकै जानू। कबै कबै द्वि चार पैग ले मारि ल्यूं, अगरेजी देसी जि मिल जाओ..। मतलब जछैं तुम सुरा या मदिरा कूंछा..।
रावण - यार तौ मांस मदिरा क चक्कर में तो मैॆ बरबाद भयीं। बामण कुल बटी सिद्द राक्षस कुल में ट्रांसफर है पडौ। मति भ्रष्ट भै सो अलग... हां यो रिश्तैलि आब तु मेर नाति हैगये..। बामण हैबेर मी ले मांस मदिरा सेवन करछ्यूं और तु ले करछै।
मैंलि कौ - पैं मैं तुमन छैं बुबू कै सकूं..
रावण - होय होय किलै नै..।
मैलि कौ - बुबू हम तुमन कैं हर साल मारनू और दशहरा मैदान में फुकि दिनू। तुम फिर ज्यून है जांछा कि बात।
रावण - हा हा हा हा हा . मेकें मारण तुमर बसक नहांति नाती, मेकें मारणा लिजी भगवान कें पृथ्वी पर उण पडौ। अवतार लिण पडौ, इन्सान बणण पडौ..! तुम शैतान लोग मेकें कसिके मारला.. तुमन में तो मेर हैबेर ज्यादा अवगुण छन। मैं तो अत्याचार करछ्यूं तुम बलात्कार ले करछा। मेकें मारणा लिजी राम चैं, तुम राम कां बटी लाला..! तुमैलि तो रामचन्द्र ज्यू क कुड उधारि हालौ, उनन कें तिरपाल ढकै हालौ। रामचन्द्र ज्यू कैं कोर्ट कच्चहैरि में ठाड करि हालौ। उनर जन्म कां भो तुम तो यो ले भुलि गेछा..। नै नाति तुम मेकैं नै मार सकना.. मी तुमार भीतर पैठ रयूं.. कसिके मारला..!
मैलि कौ - तास फसक नि करो हो बुबू.. मेकैं डर लागणै।
रावण - बस अल्लै बटी डर गोछै.. आजि तो कलियुगक पैलै चरण छ..। अघिल अघिल कि होल सोचि ले।
मैं लि कौ - बस बस रूण दिओ हो ... मेर लैक के काम छ तो बताओ..
रावण -ख्वारपीड हैगे जरा मेडिकल बटी एक डिस्प्रिनक पत्त लै दे।
(मैलि जेब बटी द्वि गोलि डिस्प्रिनाक निकालिबेर)
लिओ पाणी में छोई बेरि नेई लिओ.. अल्लै ठीक हैजालि ख्वारपीड। ज्यादा झन खाया द्वि गोलि हैबेर... किडनी में असर करैं बल।
रावण - ( गुस्स में ) काणि चेला मेर दस ख्वारन में पीड हैरै पुर पत्त ला कूडयूं। फटाफट ला नतर तलवारैलि तेर..!
मैं - अरे किडनी तो एक्कै हनेलि, डैमेज हैजालि। तुम यस करो नवरत्न तेल चुपडो.. वीलि ठीक हैजालि, आयुर्वेदिक छ।
रावण - नवरत्न तेलैलि ठीक है जाले.. त्वील अजमा छै कबै.. त्यार भोछै ठीक??
मैं - नै हो म्यार तो नै भै ठीक। अमिताब बचन कूं टी बी में.. तबै कूण लागि रयूं।
रावण - बज्जर पडि जाल तेर तेल त्योर अमिताभ . त्योर डिस्प्रीन . मी आब सुशेन बैद्य छै मगूं दवाई ... तु तब तक मेकैं फुकणैं तैयारी कर .. करि ली आपुण मनैकि मनकैसि .. लेकिन याद धरिये . मी अघिल साल आजि उल ....
हा हा हा हा हा हा .. अहं ब्रह्मास्मि .. हा हा हा हा हा ..
(रावण ज्यू अन्तर्ध्यान है ग्याय)
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