
म्यर कुड़
रचनाकार: नवीन जोशी नवेंदु
यौ खन्यर
य नि छी यस्सै
चार-पांच पीढ़ि पैली,
सबू है भल
तिपुरी महल
सुनक चड़
धनक घड़ छी,
सारि दुनि में
सात समन्दर पार लै
यैकि हाम छी
हंसि-खुसि
हर दिश
सुखी सुक्यार छी सब
बेफिकर की आपण
सात पीढ़िनाक तक,
उनार भाल भविष्या तैं
पर आज
यो खन्यर बचि रौ मि हुँ
उ तिपुरी महलक
मि जांणू यौ लै नि बचल
म्यार नानतिनों हुं
जो नि करि मैल
यौकि सज-समाव ही
आइ लै।
Read about Navin Joshi |
राष्ट्रीय सहारा कार्यालय, पॉपुलर कंपाउंड, मल्लीताल, नैनीताल।
पिनः 263002। उत्तराखंड।
0 टिप्पणियाँ