म्यर कुड़ - कुमाऊँनी कविता

म्यर कुड़ - कुमाऊँनी कविता,poem in kumaoni describing pain of old royal building,ek purane pahadi bhawan ka dard

म्यर कुड़

रचनाकार: नवीन जोशी नवेंदु

यौ खन्यर
य नि छी यस्सै
चार-पांच पीढ़ि पैली,
सबू है भल
तिपुरी महल 
सुनक चड़
धनक घड़ छी,

सारि दुनि में
सात समन्दर पार लै 
यैकि हाम छी
हंसि-खुसि 
हर दिश

सुखी सुक्यार छी सब  
बेफिकर की आपण 
सात पीढ़िनाक तक, 
उनार भाल भविष्या तैं 
पर आज 
यो खन्यर बचि  रौ मि हुँ 
उ तिपुरी महलक 
मि जांणू यौ लै नि बचल 
म्यार नानतिनों हुं 
जो नि करि मैल 
यौकि सज-समाव ही 
आइ लै

http://www.navinsamachar.com/Read about Navin Joshi
राष्ट्रीय सहारा कार्यालय, पॉपुलर कंपाउंड, मल्लीताल, नैनीताल। 
पिनः 263002।   उत्तराखंड।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ