कसिक नि हौल

कसिक नि हौल - कुमाऊँनी कविता,motivative kumaoni poem saying keep going,agar prayas karein to kaise nahi hoga

कसिक नि हौल!!

रचनाकार: रेखा उप्रेती

बीं कूण लागौ
आब नि आईन भैर
आँटि गोयुँ
माट भितेर
इकँ फोड़ बेर
कसि ऊँ
मे कैल नि हौ'ल

पाणि कूण्ं लागौ
आब नि उठ सकनुँ मलि
बगि बेर
कत्थ तलिकै ऐ गेयुँ
कसि पूजुन अगास
मे कैल नि हौ'ल

बोट कूण लागौ
झड़ गेयि
जम्म पात
ठांगर जै
रै गोयुँ
आब कसि फुटनि कल्ल
मे कैल नि हौ'ल

पै सूरज'ल कौ
कस करणा छा
निहुणि बात
मील देखि राखि
अन्ह्यार-पट्ट रात
फिर लै
रोज
लड़ मरनू
तुमर लिजि
उज्याव करनू

हौ'ल
कसि नि हौ'ल
भिजण पड़ल
तपण पड़ल
खिंचण पड़ल रेs
आपण भितेर बे
प्राण
तबै हौ'ल
सबै हौ'ल

(रेखा उप्रेती), 09-08-2020

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