
जिम कार्बेट पार्काक् शेर......
रचनाकार: ज्ञान पंत
याँ
ग्यूँ चुटै हैरै और
..... वाँ ?
पोरूँ जाँणैं
ग्यूनैं बालड़ि
ठा्ठ करण लागि रैछी
सूर्ज कैं
गिजूँण लागि रैछी ....
आज
उताँण् हैं रयीं
भीं में ......
ग्यूँन 'क पहाड़
ठाड़् है ग्यो
भोल
कुथव भरी जा्ल
पिठ में बोकि बेरि
घर लैयी जा्ल
और भकार
डम्म है जा्ल
नौव जा्स .....
आम'क घर में
धान्न 'क ले
भकार छन् ...
गगरि में लुकैयी
भट् छन्
चार माँण्
गौहत धरि छन्
भराँण बीच
एक पुन्तुरि में
भाँग् ले धरी छ ...
के पत्त
क्वे मिलि जावौ
लखनौ जाँणीं ......
शिबौ-शिब !
पहाड़ कि आ्म और
इज हौर
आजि ले
यसी कै सोचनीं
जबकि
वाँ ले आ्ब
ग्यूँ चुटै और
धान मनै
सब " मसीन "
करण् भै गियीं।
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हला !
के चलि रौ अच्छयान
तु ल्याख् नि लगूँनीं ....?
मैलि कौछ .....
तुम फेसबुक में
आ्ँख फोड़ौ
फाव हालौ
वाट्सऐप में ....
...... स्यैंणिल कौछ।
मितराम
जाँ ले मिलनीं
फेसबुक कसि चलिरै
पुछनीं।
फेसबुक
करौ
तलाक
आफि है जनेर छ।
भली ब्वारि छ
फेसबुक में
हजार
लाईक करनीं।
शब्दार्थ:
ठा्ठ -- ठिठोली
कुथव --- बोरे
गिजूँण -- चिढ़ाना
उताँण् ---- लेटना
बोकि - लादना
डम्म -- गले तक भर
April 2017

...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार
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