हिमाव और समन्दर

हिमाव और समन्दर-कुमाऊँनी कविता,poem about the highest himalaya and biggest sea,kumaoni bhasha ki kavita,kumauni kavita

हिमाव और समन्दर

रचनाकार: जगदीश चन्द्र जोशी

हिमावौ ह्यूं बिलै
जाणि कतुक गाड़नौ
पाणि बणि जाँ?
एक गाड़ पूरब झोवैं
एक पच्छिम बगैं
एक दच्छिण हरि-भरि करैं
रई-बचि पाणि 
समन्दर में मिलि जाँ।

समन्दर बटी 
बफार भरीण
बादो' उठनी
दुणि नमाम में
जाणि काँ-काँ
ब र स नी?

म्यर मुलुक हिमाव छ
जाणि कतुक गाड़-गध्यार
याँ बै निकवनी
म्यर देश समन्दर छ
जाणि कतुक गाड़- गध्यार
यमें मिलि जानी?

यो समन्दर बै
जाणि कतुक
पाणि-भरीण-बादो'
जाणि काँ-काँ, उड़ि-उड़ि जानी
जाणि काँ-काँ, झुकि-झुकि जानी?
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Nov 01, 2016

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