तमरांक-हमरांक

तमरांक-हमरांक-कुमाऊँनी कविता,kumaoni poem about govt administration and general public, kumaoni bhasha ki kavita

तमरांक-हमरांक

रचियता: हीरा सिंह अधिकारी

कलेक्टर तमरांक, पेशकार तमरांक 
को सुणु नरनर्राट हमरांक 
थाण तमरांक, पटवारी तमरांक 
को देखूँ टुटी ताउ हमरांक।

माथ माथै हाउम बाट बनै है 
विकास अपुण कुड़िम बटै है 
कतु साँच छु,कतु छु झुट्ट 
तमर सफ़ाईल सब बतै है 
गाढ़ तमरांक, गध्यार तमरांक 
को देखूँ सुखी कुल हमरांक।
 
टेंडर निकालणी तुम 
टेंडर    डालणी  तुम 
सीमेंट में माट मिलाणी तुम 
विभागीय जाँच कराणी तुम 
गाड़क ल्वाड़ उठाणी तुम 
उठाणी काम गं रूकाणी तुम 
जे॰ई॰ तमरांक, ए॰ई॰ तमरांक
को  देखुँ  रोडूंक  गड्ड  हमरांक।
 
पड़ोसीक खोई नयाणी तुम 
दूधम् बै पराई खाणी तुम 
भौ नूँ गं माँ बनाणी तुम 
समझौता में पैंस लुटाणी तुम 
कर्म तमरांक, कुकर्म तमरांक 
खालि है रै मुनव पीड़ हमरांक।

राजधानी में तुम,विधानसभा में तुम 
पटआंगड़ बटी पखां में तुम 
आँस में तुम अँखा में तुम 
भ्योऊ में तुम बँटा में तुम 
चोर तमरांक, डाकू तमरांक 
कसी बचौल परिवार हमरांक।

रोड जो कटै चौमस में बग गे 
ठेकदार समेर हं आई आल क्वे 
खड्ड खोद बे खड्ड भरण विकास छु 
नेता ज्यूक यो स्टाइल ख़ास छु 
कौतीग तमरांक भीड़ तमरांक 
को सुणौल अब क्वीड़ हमरांक।

राज नी राई, थोकदार नी राई 
कुर्सी तमर लै है जाल कराई 
कतु दिन रौल यौ छलछलाट 
टैम ज़्यादा नी रै गोई बकाई 
मंदिर तमरांक, धुणी तमरांक 
को पकड़ौल पखोऊ हमरांक। 

-हीरा सिंह अधिकारी, 25-08-2021

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