
-:भदयी रोट:-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
यो सांच्चि काथ आज बै सत्तर अस्सी बर्स पैल्लिएक सुदूर पहाडा़क गौक भै। उ बखत अल्माड़ नैनताल वाल और दूर पहाडा़क गौनौक खानपान में अंतर छि। आब तो हम सब किस्मौक खाण खानु पकूनूं और नय नय चीज सिखबेर आपण रिश्या कं सुगंधित करनूं। भौत पैल्ली मैस ब्या कामकाज लै आसपासाक क्षेत्रन में करछी बल। योई कारण छि कि दूरस्थ क्षेत्रनौक भोजन कुछ भिनकन हुनेर भौय।
आज जो सिंगल,शै, पु हम सब जाणनु उ अधिकतर अल्माडा़क बामण और शौ (शाह) बणिन में प्रचलित भ्या। शुभ शकुन में हलु, पुरि (लगड़) आल रैत खजुर(सकरपाव गुड़पाव) रोट गुड़पापडि़, कसार बणूणौक रिवाज भौय। यैक अलावा एक "भदयी रोट" लै बणन छी जो आब लुप्त है गो हो। यो बांसतोलि, गराऊ पिनारि तरपैक गौन में जनमबाराक दिन बणनेर भौय।
भदयी रोट नय कुटी चावलौक पिसुऔक पिस्यु घ्यु चिन, गुड़ पाकि क्यावाक क्वाश (मिन बेर) और आंखोड़ दै हाल बेर जब उमें खमीर ऐगोय तब भद्यावन घ्यु हाल बेर पकुनेर भ्या मंद आंच में उ उठ जानेनेर भै आजौक केक जौस।उकं भदयी रोट कुनेर भ्या।
मैल आपण मांकोटैक आमौक बणयी भदयी रोट खै राखौ बल, पर मकं लै वीक स्वादैक फाम न्हां। यो रोट पहाडै़क आबैहवा में एक म्हैण जांलै लै खराब नि हुंछी बल। उ जमान में मैस हिट बेर जानेर भाय और बटन खाणाक का , चेलि बेटिन कं भेटण जाण हुं मैत बै इज आम् आपण चेलि नातिणिक सौरास भेजनेर भ्या।
यो भदयी रोट आजौक जमानौक बिना अंडौक केक भौय हो। यो जो मैल लेख राखौ यो कपोलकल्पित न्हां यो १००प्रतिशत सांचि बात छु।
मौलिक
अरुण प्रभा पंत, 11-01-2021
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