
तू कलै सोचनौ छे
रचनाकार: राजू पाण्डेय
रमदा लै काथा करि, पूरो गौं न्यूतिरा
शहर में पढनिया चेला लै
उ आज कठिन सवालौ मे खैंचिरा।
खूब भलो, गौं वाला सब एकबटी रयान
पर पापा सौ, दयूसौ मानसौ खन
दयू, तीन चुला कलै लागि रयान?
यौं बिन धोती क्वै चुलान ना जाना
यौत रीति रिवाज़े बात भै चेला
यौं लोग एक दोसरा हाथो ना खाना।
चेला यौ सब धोत्ति का खेल छन
यौं क्वै ठुला क्वै नाना
देखन में एकै झा, पर सब बेमैल छन।
पापा तुमरौ गौं को लै अलगे संसार छ
खाली मेरो गौं मेरो गौं कुंछा
फिरि त यौं, खाली देखावे को प्यार छ।
इक्कीसवीं सदी मे लै येतुक भेदभाव छ
कैयीकै लै नानो बतूनो पापा
अपराध और सभ्य समाज पर घाव छ।
यौं वाला फिकर ना, तू कलै सोचनौ छे
"राजू" दयू दिनो मेहमान छे तू
फ़ोटो सेल्फी खीच, किन चकरौ पडिरौ छे।
~राजू पाण्डेय, 29-6-2020

=============================
बगोटी (चंपावत - उत्तराखंड)
यमुनाविहार (दिल्ली)
bagoti.raju@gmail.com
Copyright © 2019. All Rights Reserved
फोटो सोर्स: गूगल
0 टिप्पणियाँ