
-:हमारे म्हैण, ऋतु, त्यार- ब्यार, खान-पान:-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
फागुण (फाल्गुन) म्हैण में कृष्ण पक्षैक चतुर्दशिक दिन महाशिवरात्रि मनई जैं।शिव रात्रि तो पुर १२ हुनी हर म्हैण एक शिवरात्रि जो हर म्हैणैख कृष्ण पक्षैक चतुर्दशि हूं शिवरातू हुछि पर फाल्गुनक म्हैणेअ कृष्ण पक्षैक चतुर्दशि विशिष्ट छु,यो त्यार मनूणाक भौत करण छ:-
१,लिंग रूप में आदि देव शिवज्यू प्रकट भयीं बल।
२.ब्रह्मा ज्यूल रुद्र रूप में शिवज्यूकं पहचाणौ बल।
३आजाक दिन नैपाल में मानि जां कि शिव पार्वती ब्या भौ बल।
४.समुद्र मंथन बै जो "कालकूट" विष निकलौ उकं पुर संसारौक कल्याणाक लिजिए शिवज्यूल आपण कंठ में धारण करौ और "नीलकंठ" कहलैयीं।
हिंदू धर्म में आस्था धरणी वाल लगभग सबै महाशिवरात्रि दिन बर्त करनी जो एक फलारी बर्त भौय।यो दिन ब्या काज लै हुनी। शिव लिंग में दूद अक्षत और काल तिल और जल चढ़ूणौक रिवाज छु,बेल पत्र में 'राम राम' लेख बेर धतुराक फल, बेर ,रसभरी इत्यादि फल चढ़ूणैक लै मान्यता छु। हमार देशाक कश्मीर भूभाग में महाशिवरात्रि के दिन बै नय सालैक शुरूआत लै मानी जैं। जब मैंल बसंत पंचमीक जिकर करौ उमै एक बात और शामिल करण चांनू कि उ दिन बै होलि गीदनैक लै शुभारंभ है जां और मांठूमांठ मैसन में होलिक रंग चढ़न भैजां।
फागुण म्हैणैक पुन्यू दिन चीर जलें और वीक अघिल दिन छड़ड़ि (होली)खेली जैं यैहै पैल्लि एकादशी दिन होलि खेलणी लुकुड़न में भद्ररौक विचार कर बेर रंग हालनी। हमार पहाड़ में नय सफेद झक्क लुकुड़न में रंग हालौणक रिवाज छु।
मैल आपण जानकारी मुताबिक यो लेख मूलतः कुमायूं त्यारन कं ध्यान धर बेर लेख राखौ।
मकं गढ़वालाक त्यारनैक भौत भल सटीक जानकारी न्हां। जां तक में जाणू यो सबै त्यार वां लै मनई जानी सिवाय 'खतड़ु'छाड़ि बेर। एक त्यार 'दुबड़ी' जो गढ़वाल और 'जौन सार बाबर' में मनई जां उ हमौर डोर दुबज्यौड़ जसैहुं कुछ कुछ पर मनूणौक तरिक भिन्न हुं और भदौक शुक्ल पक्षैक सप्तमीक दिन मनई जां, जो नय फसलौक उत्सव हुं।
ऐसी यो हमौर पुर देश विशेष कर उत्तराखंड एक रंगरगिल त्यार ब्यारनौक भूभाग छु, अतः हमनकं यो सब बात ज्ञात हुण चैनी आपुं सबै जणि जो लै यो सब पढ़ला आपण नय नय पीढ़ी कं यो सब भलीकै बतैया तबै हमरि संस्कृतिक रिवाजनौक खुलासा होल जकं जोलै त्यौहार आपण परिस्थितीक अनुसार मनूणेक सामर्थ्य सुविधा छू अवश्य मनैंया पर जानकारी सबनाकै बार में धरिया।
यो लेखाक बार में भूल-चूक है सकनी, सुझाव जानकारी दिया।
मौलिक
अरुण प्रभा पंत, 19-08-2020
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