सिसौण, सिन्न, कंडाली का साग - Nettle Grass

स्थानीय कुमाऊँनी रेसिपी-सिसौण/सिन्न/कंडाली (Nettle Grass) का साग - Kumaoni Recipe of Nettle Grass Leaves

सिसौण/सिन्न/कंडाली (Nettle Grass) का साग

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कोई कहता बिच्छू घास, कोई कहता कंडाली कहीं इसका नाम सिन्ना तो कहीं सिशून।  पहले लगता था कि यह सिर्फ भारत के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की निजी सम्पत्ति है।  लेकिन बाद में पता चला कि यह तो दुनिया भर में पाया जाने वाला पौधा है, जिसे पहाड़ी बच्चों को सुधारने के इस्तेमाल में लाया जाता है।  बचपन में हर पहाड़ी बच्चे ने इसे मुंह से न सही लेकिन हाथ पांव में जरूर खाया होगा, कुछ की तो डेली डोज होगी यह।
खैर आज हम बताने जा रहे हैं, इसे मुंह से खाने की विधि।  सौरी पहले पकाने की विधि।

बनाने की विधि:
तो आप इसे जिस भी नाम से पुकारते हैं, पहले इसे तसल्ली से काट लें, अब काटने के बाद या तो उबले पानी मे डालकर सीधे थोड़ा उबाल लें, मगर याद रखें इससे झम्म वाला स्वाद चला जाता है।
तो आप इसे पहले एक कढ़ाई में हल्का भून लें, हाथ बचाकर, सिन्ना लग जाता है, फिर उबालने डाल दो।
इस बीच आप चावल या गहत को भिगाकर पीस लो,(हम उत्तराखण्ड की तरीदार रेसिपी बता रहे हैं)।
एक तरफ आपका पेस्ट तैयार उतनी देर में कंडाली/सिन्ना भी रेडी।
अब उसे हींग या जीरे के साथ तड़का लगा दो। और नमक के साथ पका लो। अच्छा एक इंट्रेस्टिंग बात बताता हूँ, अधिकतर देखा गया है कि मसाले के नाम पर नमक और काली मिर्च का बहुतायत इस्तेमाल करने वाले अमेरिकी भी इसकी सब्जी बनाते हैं, वह नमक के साथ कालीमिर्च का इस्तेमाल करते है और सिर्फ उबाल कर खाते हैं, तो आप नमक के अलावा कालीमिर्च का प्रयोग भी कर सकते हैं।।
अब मतलब जो है जैसे पालक बनाते हो वैसा ही करना है। सब्जी में वह अपना चावल या गहत का पेस्ट बनाकर डाल लो, नमक स्वादानुसार, हल्दी धनिया और अन्य मसाले श्रद्धानुसार।
अब चाहे इसे भात के साथ खाओ।
चाहे रोटी के साथ, झम्म वाला टेस्ट आएगा।
फेसबुक पेज Pahadi Bagas-पहाड़ी बगस , 18-06-2020

अब हम आपको वह विधि बताते हैं जिस तरीके से बचपन में हमने अपनी दादी को बनाते हुए देखा और जिस तरह का साग हमने खाया है:- 
सबसे पहले किसी बांस की कंडी (छापरी) में सिसूण के कोमल पत्तियों को शाखाओं सहित चिमटे से तोड़ लिया जाता था।  फिर आग जलाकर इन पत्तियों को चिमटे की मदद से आग पर इस तरह सेंका जाता था की उनके महीन कांटे जल जाएँ।  उसके बाद पत्तियों को उबाल लिया जाता थाऔर पानी फेंककर उबली पत्तियों को एक बरतन में अलग रख लिया जाता था।  उसके बाद एक कढ़ाई में छौंका लगाने हेतु सरसों का तेल डालकर गर्म किया जाता था और छौंका लगाने हेतु जम्बू, जखिया, लहसुन या जीरा आदि आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं।  उसके बाद कढ़ाई में उबली हुयी पत्तियों को छौंका लगाकर स्वादानुसार नमक मिलाकर हरी सब्जी की तरह पकाया जाता था, अन्य कोई मसाले नहीं मिलाये जाते थे।

हम लोगो ने इसे हरी सब्जी की तरह ही रोटी या चावल के साथ टपकिया की तरह ही खाया है।  
वैसे आप इसकी उबली हुयी पत्तियों को मिक्सी में पीसकर, सरसों के साग की तरह तड़का लगाकर मसालेदार साग भी बना सकते हैं। 
सभी फोटो फेसबुक पेज Pahadi Bagas-पहाड़ी बगस से साभार

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