
नानि विकासै बात कर हो
रचनाकार: राजू पाण्डेय
चुनावै बख्त करनौछ्या खूब शोर
अमकनौ चोर, ढिमकनौ चोर
हामै छुं सबौहै जोर
कुछ्या पहाड़े दाशा बदली दयूना
कवै नहान हामरी टक्कर में
आब
नानि विकासै बात कर हो
न उलझया हामु
देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
आज भल कुना बीस साल हैग्यान
भला भाला डांडा कांडा
राजनीति कुचक्र में फसी ग्यान
मूल समस्या बठै हटि ग ध्यान
बरेली, दिल्ली भाजनौ हैरो
अस्पतालों चक्कर में
आब
नानि विकासै बात कर हो
न उलझया हामु
देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
उठ आँखा खोल, जरा देख भैर
जौ उठलो सोचिनौछ्या उत्तराखंड
दिनों दिन पडणौ गैर
कि करला तति नोट थुपड़ै बैर
सबौले एक दिन जानछ
"राजू" बस दयू लक्कड़ में
आब
नानि विकासै बात कर हो
न उलझया हामु
देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
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शब्दार्थ :
अमकनौ - ये भी।
ढिमकनौ - वो भी
हामै छुं - हम ही है।
सबौहै - सब से।
कुछ्या - कहते थे।
दयूना - देंगें।
नानि - थोड़ी।
उलझया - उलझाओ।
आज भल - आज कल।
कुना - कहते।
भाजनौ हैरो - भागना पड़ रहा है।
भैर - बाहर।
जौ - जो।
पडणौ गैर - नीचे गिर रहा है।
थुपड़ै बैर - इकठ्ठा कर के।
सबौले - सब ने।
दयू लक्कड़ - दो लकड़ी
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~राजू पाण्डेय, 26-07-2020

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