लफाई गेयूं या घुरि गेयूं

कुमाऊँनी लेख-स्कूल जाण बखत लफाइलै भाऊ, उकाव ओल्हार पन भली कै हिट। article about use of word falling in Kumaoni language

-:लफाई गेयूं या घुरि गेयूं:-
(गिरगया हूं या पूरा लुढ़क गया हूं)
लेखिका: अरुण प्रभा पंत

इज कुनेर भै स्कूल जाण बखत लफाइलै भाऊ भली कै हिट।  उकाव ओल्हार पन (चढ़ाव उतार पर) भलकै जैया लोटि जाला, घुरि जाला, मदनौ (मदन बड़े भाई) रतनौक हाथ भली कै पकड़िये।

हम और भौत नानतिन आपण बाखयिक नानतिन दगै स्कूल जानेर भयां। नान नातिनाक गावन (गले में) और ठुल नानतिन्नाक कानन (कंधे में) में स्कूलौक झोल लटकी हुनेर भौय ,हाथन में घ्यु चिन(घी चीनी)लगई अधखैयी रोट या परौंठ लै भौय आय।

सब दगड़ै खेल करन करनै स्कूल जानेर और दोफर (दोपहर में) में वापस घर उनेर भाय।
स्कूलौक झोल यातो घर में आम् या इजक हाथौक शिणी हुनेर भै,बाबुक पुराणि पैंटौक या बड़बाज्यूक सुरावौक(पजामे का)।
बस रमेश और हरीशाक झ्वाल गौंक ढोलिक(दर्जी)बणयी छि।
दोफर में घर ऐबेर कभै दाल-भात (दाल-भात), कभै झोलि भात, बड़िक साग भात, जौल खानेर भयां।

झट्टकन स्कूलौक काम खत्म कर बेर दिनमान भर भ्यार धुर्तोई कर, क्वे रोक-टोक करणी निभौय, आम् और इज आपण काम में मगन बड़बाज्यू फसक फराव पुजपाठ में मगन और हमरि काखि आपण किटमिट जा जौयां (जुड़वां) नानतिन में लागि रुनेर भै या घरपनाक काम करनेर भै।
भै भै बैणिनैक मौज भै।
ब्याल जांलै कभै गिडु (बौल) कभै बाघ बाकैरि खेल पर स्कूलौक काम टनाटन करि ल्हिनेर भयां बीच बीचम में मदनदा नड़क्यूनैं रुनेर भौय।
आय खेलन खेलन भूख लाग गेय तो काखि थैं दूध रोट लै मांगनेर भयां।

हमूल खूब खेल कर राखिं और हम-सब भै बैणि पढ़ाया लेखाय में भलै छिंयां पै तबै हमार बड़बाज्यू कुनेर भाय--पितरनौक आशीर्वादैल एक से एक हिर पैद है रैयीं।
समय बितण पर हम सब भाय बैणी भल भल जागनपर काम करण लाग।  हमार बाबू और काक (चाचा) तो भ्यार नौकरी करनेर भाय फिर लै हम आपण बुद्धिल और मेहनतैल उच्च स्थान में पुजि गेयां पै।
सबनौक कारोबार सैट भौय और सब भलीकै अलग अलग शहरन में रूण लागि रैयां पर साल में एक बार सब परिवार हमौर बड़बाज्यू और आमाक आदेशैल घर पुज जानेर भौय, विशेष कर दिवालिनांक छुट्टीन में करीब पांच छः दिन हम सब दगड़ै रुनेर भयां।

हमार नानतिन ठुल है बेर घर जाण हुं ना-नुकुर करण लाग तो धीरे-धीरे यो सिलसिल फिर खतमै है गोय कुंछा, सब भ्याराक प्रभाव में बदयी ग्याय हो पर भौत निस्वास लागनेर भौय।
आखिरी बार आम बड़बाज्यूक मरि में हम घर गेयां वीक बाद जो घराक द्वार में ताइचाबि (ताली चाभी) लगै ऐयां उ आय जांलै नि खुलि सकि।

हम सब उच्च पदासीन अधिकारी लफाईण तो न्हातांपर आपण जाग बै लोटिबेर पुर माथि बेर घुरि गेयां।
आब हम खाप भर बेर आपण बोलि लै नि बलाना मेरि घरवाय लै आपण नाति थैं 'ऐपल'खालेऔर तू लंच कब करेगा कूण भैगे।
आब सब बदयी गेयीं, पूर भलीकै माथि बै तलिकेहूं घुरि गेयीं।

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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