शिब्बू - हवाई जहाजक ड्राइवर

शिब्बू - हवाई जहाज'क ड्राइवर,satire in kumaoni about decency of pahadi people,bhole bhale kumaoni logon ke bare mein vyangya

शिब्बू - हवाई जहाज'क ड्राइवर 

लेखक: विनोद पन्त 'खन्तोली'

बात लगभग पचास पचपन साल पुराणि हुनेलि, एक शिब्बू भोय।  शिब्बू  नानछना चार पांच में पढन हुन्योल तो घर बटी भाजि गोय, मै बाप नाक डाड मारते मारते हालत बिगड गे।  ईज बाबू क एकै च्योल भै तो वीकि खोज खरीद करण में के कसर नि छोडि।  आजक जस टैम ज कि भै कि पुलिस में जाओ, ढूढणा'क तरीक दुसरे भै।  गौं क जदुक आदिम भ्यैर हल्द्वाणि दिल्ली बरेलि अलमाड लखनऊ छी सबन कें चिठ्ठी लेखी गे उनार परिवार वालनाक मार्फत।  कि कती हमर शिब्बू कें देखला घर लगै दिया, उ दिनान पहाड क लोगनते भारत मुख्य शहर तै भाय।  और भाजिबेर जाणी वालनैलि ले तदुके सुणी हुनेर भै तो उनर भाजबेर जाणक मुख्य टारगेट तै शहर हुनेर भाय।

शिब्बू कि क्वे फोटो ने नि भै, आब तदुक नान् नानतिन कें शहर वाल देखिबेर ले कसिके पछ्याण छी।  क्वे ले शहर बटी या फौंज बटी घर आल तो शिब्बू कि ईज डाड मारनी पुज जानेर भै।  कती इस्टेशन पन हमर शिब्बू देखछै?  जवाब एकै हुनेर भै, नै हो नै देख, फिकर नि करो आबै ऐ जाल।  शिब्बूवकि ईज कूनेर भै - दै .. आब कां ऊं .. कैलि मार हाल हुन्योल मेर शिब्बू ..
 
शिब्बू'क घर वालनैलि गणत पूछ सब कर हालि।  कति ले जागर, जाग, घन्याई लागि तो वां अच्छ्यत धरि उनेर भाय।  जां द्याप्त औतर वां शिब्बूवकि ईज पुज जानेर भै।  जदुक मूख उदुक बात, एक बार तो हद्द हैगे, एक डंगरियैलि औतर बेर कौय - आब नि आ घर यो, ज्यून नहां।  पुर परिवार में हाहाकार मच गे, बिधि क विधान मान हाल घर वालनैलि।  पर ईज क कल्ज कां मानछी, उ आजि ले उचैण धरण में लागि भै।  पांच-छै म्हैण बाद एक जाग जागर लागी भै, ईज पुजि गे अच्छयत लिबेर, वां जैबेर देख तो वी डंगरी आई भै। 

शिब्बूवकि ईज क दिल बैठ गे, यैलि मर गो कै राखौ ..उ वापस जाण लागि तो पत्त नै कि मन में आ रुक गे।   द्याप्त औतर शिब्बू कि ईजलि डरते डरते चावल देखाय।  तो आब जगरी कूण लाग, देख पें देख .. अगर त्योल यो च्योल तीन दिन में घर नि आल तो खई में नाचण छोडि द्यूल..।  शैद डंगरि लि शिब्बूव'कि ईज नि पछाणि या आपुण कई पुराण बात याद नि हुनेलि। 
 
गौं वाल सीदसाद भाय .. के जिरह नि कर चुपचाप खुश हुनी शिब्बवकि ईज घर ऐगे।  डंगरी ऐला फियार ले फेल हेगे, शिब्बू  तीन दिन कां तीन साल में ले नि आय, ईजलि ले आब ध्वाक छाडि हाल।  लगभग बार-चौद साल बाद एक दिन शिब्बू अचानक एक झोल ल्हिबेर, कान में एक लोकल रेडिये टाकि बेर ऐ गोय।  घर . घर में तो दिवाई जगि गे, गूड बाटि गोय।  शिब्बू एक चार स्याल वाल टौर्च ले लाई भै, सार गौं में चर्चा हैगे जग्गू चार स्यल्ली टौर्च लै रौ।  बाबू लि पुछ च्याला कां छिये कि करछिये? शिब्बूवलि बताय जां जहाज उडनन वां छियूं, ड्राईवरी करूं। 

दरअसल शिब्बू एयरपोर्ट'क नजदीक कति ड्राइवरी करनेर भै।  बाबू लि पत्त नै कि समझ सबन छै कै हाल मेर शिब्बू जहाज उडूं।  सब जाग बात फैलि गे कि शिब्बू जहाजक ड्राईवर छ बल।  मैस आब पुछण तें आय, शिब्बुवा त्वेके डर नै लागनी, जहाज बटी मैंस कास देखीनी?  शिब्बू ले फौँस मारण बैठ गोय, नै नै के डर नै लागनि वगैरह वगैरह।  आब शिब्बुव'क ब्या ले हैगोय, शिबुवा'क सालि ले बड शान देखैबेर कूनेर भाय  हमार  भिन्ज्यू जहाज क ड्राईवर छन।  

ब्या बाद शिब्बू घरै पन एक ट्रक चलूण बैठ गे हल्द्वाणि टु पहाड।  कैलि ले आब यो नि पुछ - शिबुवा जहाज उडूण कब जालै ..

विनोद पन्त' खन्तोली ' (हरिद्वार), 02-06-2021
M-9411371839
विनोद पंत 'खन्तोली' जी के  फ़ेसबुक वॉल से साभार
फोटो सोर्स: गूगल 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ