
मौन
रचनाकार: हिमानी
यो दुन्नी में
सब जन केवल बोलणै रूनीं
सुणन वालो क्वै नैं
इथै आऔ थ्वाड.देर
म्यर दगड. भैटौ
तुमि बोलणै रया
मी सुणनै रूंलो
तुमर मिठ बोलण में
मि अफूंकै तोलणै रूंल
यसिकै बोलणै-सुनणै
हमि दुयै वां पुजि जूंल
जां ज्या बेर
न बोलणां क् जरूरत पड़लि
न सुंणनकि
मौन जां क् भाशा होलि
मौन जां क् परिभाषा
यो दुन्नी क् कलबलाट ह्वै
भौत दूर हिटो
हम अपणि नईं दुन्नी
वाईं बसूंल।
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चित्र-गूगल से साभार
हिमानी © 29-08-2020, -सर्वाधिकार सुरक्षित
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