
कमाऊ स्यैणी
(मो. अली अजनबी)
थाती
आंपणि घरवाई मैत बटी
आब नि बुलै सकनी कभै
वीक बौज्यूक, खुट तलि
नि गिड़गिडै सकनी कभै
बात इतुक बस मैंन पुछ
बणीं ठड़ी काहुँ जाने छै
यौ बुढ़ि अकाव में
किलै लोंड मौंडन कै चानैं छै
पट जमै दी द्वी चप्पल
मैं नि बतै सकनी कभै
आपणि ..................
नान-तिनेंकि म्यार भाग में
पड़ियै रैगो – अकाव हो
मेरि ठुकाइक लिजि
द्वी धरि रेगी मुस्टंड साव हो
हांट-भांट सब टोड़ि हैलि
ख्वर नि उठे सकनी कभै
आपणि.................
छी कमाऊ स्यैणी मेरी
भौत कमाइ वीकि खै
जुलम अति करण फैटें
धौंस दगै गाइ मुकाइ सैं
वीक कमाइ' कि धौंस कैं
आब नि उठै सकनी कभै
आपणि......
-मो0 अली अजनबी, अल्मोड़ा
उत्तराखण्डी मासिक: कुमगढ़ 9 वर्ष 07 अंक 3-4 जुलाई-अगस्त 2020
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