घ्यु त्यार - कुमाऊँनी कविता

घ्यु त्यार - कुमाऊँनी कविता, Kumaoni poem on Ghee Sankranti or Sinh Sankranti, Ghun Sangrant par Kumaoni Kavita, kumaoni bhasha ki kavita

"घ्यु त्यार"

रचनाकार: श्री शंकर दत्त जोशी  

घ्यूई न्हां
कैक घ्यु त्यार।
घ्यु झै न खा सकीत
जौन पै! ,जानै पड़ल!
गड्यावकि ज्यूनि।

खानि त घ्यु खानें नाई
खूब झरफर,
डुबि रई धिनाई में।
आँगूव सब घ्यु में
ख्वर कढ़ाई में।

हमुई जास गरीब
बननि गड्याव।
और घ्यु खान न सिखलात
बनते रौल गड्याव
लोग बनाते रौल गड्याव॥

शंकर जोशी

पसे अनुरोध है कि
शंकर दत्त जोशी  
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