
"घ्यु त्यार"
रचनाकार: श्री शंकर दत्त जोशी
घ्यूई न्हां
कैक घ्यु त्यार।
घ्यु झै न खा सकीत
जौन पै! ,जानै पड़ल!
गड्यावकि ज्यूनि।
खानि त घ्यु खानें नाई
खूब झरफर,
डुबि रई धिनाई में।
आँगूव सब घ्यु में
ख्वर कढ़ाई में।
हमुई जास गरीब
बननि गड्याव।
और घ्यु खान न सिखलात
बनते रौल गड्याव
लोग बनाते रौल गड्याव॥
शंकर जोशी

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शंकर दत्त जोशी
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