
खरी खरी-680: घ्यू संक्रांत (सग्यान) क घ्यू और गनेल
लेखक: पूरन चन्द्र काण्डपाल
भादो महैंण 1 पैट (16 अगस्त 2020) हुणि उत्तराखंड में घी संक्रांत (घ्यों /घ्यू सग्यान) क त्यार मनाई गो। दिन भर एक कटौर में घ्यू और चमच दगाड़ मुणि बै एक गनेल (घोंघा) सोसल मीडिया में दिन भर फारवर्ड होते रौ। ऊं लोगोंल लै कट पेस्ट फारवर्ड करौ जैल दिन भर घ्यू पर हाथ नि लगा हुनल। दगाड़ में य लै कौ कि जो आज घ्यू नि खाल उ अघिल जनम में गनेल बनल। पुर त्यार दिन भरि सोसल मीडिया में ई सिमटिए रौछ। घ्यु संक्रांतक त्यार में मुनव और ख्वरक बीच एक टिक जस घ्यु लगूण शुभ मानी जां। भलि फसल कि खुशि और पशु धन कि रौनक लै य त्यार कि विशेष मान्यता छ। गरीबीक वजैल सब लोग घ्यु नि खरीदी सकछी। घ्युक व्यापारियोंल एक पिछाड़ि गनेलक तर्क जोड़ि दे ताकि लोग गनेल बनण कि डरल घ्यु जरूर खरीदाल। अघिल जनम में को के बनू या ये है पैली जनम में को के छी य क्वे नि जाणन पर य अघिल जनमक चक्कर में कुछ लोग आज लै फैद उठू रईं।
यसै एक रिवाज दिवाइ में अमूसक दिन उत्तराखंड में (देशाक दुसार भागों में लै) लै छ जब कएक जाग जु खेली जां। मैंसों में यह मिथ फैलाई छ कि जो दिवाई में जु नि खेलल उ अघिल जनम में कुकुर या उल्लू बनल। लोगोंल येकैं मैंसोंक त्यार कूण शुरु करि दे। दिवाइ में गरीब है गरीब मैंसल लै आपणि औकातक अनुसार कम है कम पांच - दस रुपैक जु खेलण जरूरी समझि ले जो आज लै कएक जाग खेली जांछ। य जुवैल कौतिक आयोजकोंं कि भलि पौबारा हिंछ। जुवक कौतिक में शिकार-शराब लै बेची जांछ, फड़ (अड्ड) उघुणियांक कि भलि कमै हिंछ जबकि जेब जुवारियों कि काटी जैंछ किलैकि मैंसक य त्यार में जु खेलण जरूरी हय नतर उ अघिल जनम में कुकुर या उल्लू बनि सकूं।
दिवाइ में धन तेरसक नामल य मिथ चलै दे कि आज तो एक भान जरूर खरीदण छ या एक जेवर जरूर बनूण छ। धनवान तो के लै खरीदि ल्यल पर गरीब के करल? गरीब उधार या कर्ज ल्हीबेर एक थाइ या गिलास खरीदल किलैकि य मिथ चलाई गो कि आज खरीदारी नि कराला तो लक्ष्मी ज्यू रिसै जालि। य मिथल दुकानदारक फैद हुंछ किलैकि य दिन रेट लै आसमान में हुुंछ । जरूरतक भान तो कभैं लै खरीदी जै सकूं, धनतेरसै कै दिन किलै खरीदी जो ?
यसिके हमार समाज में अलग अलग जगा पर अलग अलग मिथ छीं। शराद में बामण कैं खउणक मिथ, मृत्यु भोजक मिथ, शनि कैं तेल लगूणक मिथ, गरण में पकाई खाण खेड़णक मिथ आदि। कैल क्वे बोट रोपणक मिथ नि बनाय जैल धरतीक सिंगार हो। हमूल मिथ है बचण चैंछ और कर्म करते हुए भगवान पर भरौस करण चैंछ। कुछ लोग म्यार बातों पर असहमत लै है सकनी। असहमत हुण सबूंक अधिकार छ लेकिन सांचि बात तो कूण पड़लि और भेड़ चाल है बचण पड़ल। जैक पास धन छ तो खूब घ्यु खौ (कोलेस्ट्रॉल है बचिया) पर कर्ज करि बेर घ्यु खाण बिलकुल नासमझी कई जालि। मिकैं याद छ कि नानछिना घ्यु सग्यानक दिन म्यार बुलबुलियों पर घ्युक हाथ मेरि इज़ल लै लगा पर वील कभैं आपण ख्वार पर घ्युक हात नि लगाय और न कभैं घ्यू चाख बल्कि घ्यु बेचि बेर घरक खर्च में सहयोग करौ।
यसि छि म्येरि इज।
पूरन चन्द्र काण्डपाल, 18-08-2020

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