जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Kumauni Sher-Shayari by Gyan Pant, Kumaoni Shayari

जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार: ज्ञान पंत

याँ जाँणें त 
ऐ गियूँ ...
अघिल 
आब " तुयी " जाँणैं।
...............
कसिक कै दियूँ ....
कि बाट 
सिद - साद छी 
उकाव - उलार 
नि छी या 
सिमारै - सिमार छी 
जिन्दगी ! 
बलै ल्हियूँन , तु 
आज जाँणै 
कां मर्रि रैछी। 
...........
मनखी 
अतरणैं में भै 
धिरचाल 
झिट घड़ि में 
" हिसाब "
बरोबर करि जाँछ। 
............
"भतेर" ले 
चायी कर 
बरमान में 
ठंड पड़ौल।
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बखत जाँण में 
देर जि लागें ....
बाछ् छियूँ 
बहौड़ भयूँ ....
फिर बल्द और 
आब् 
बुड़ बल्द है गियूँ 
रन्कारै .....
" मैंस " कब होलै? 
...............
यो माया को 
अलज्याट समझ तु लै 
नन्तरि ......
को पुछँण लागि रौछी 
ते कैं .....
और मैं कैं ले। 
...............
मनखी बणैं बेरि 
परमेश्वर कैं ले 
मनसुप 
लागि रयीं .....
आब् के न के 
जरुर हुनेर छ! 
............
 भागी ! 
तु स्वैणां ले ऐयी कर 
रात ले .....
"पुन्यूँ " जसी लागैं फिर। 
...........
यसो रयो त 
द्याप्त ले 
" पत्ती " धरनेर
 न्हाँतिन .....
तबै 
कुदरत ले टेड़ी रै। 
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जब तु चालै 
तबै उज्याव ले होल 
नन्तरी 
अन्यार त भये। 
............
" भतेर " 
उज्याव भये त 
अन्यार ' लि 
के नि हुँन।
................
बखत जाँण में 
बखत 
काँ लागौं  हो  ..... 
बात  
पोरुवै ' की-ईईई
जसि  लागैं। 
................
पत्त न 
कैक भाग्य'लि 
मैं 
याँ जाँणैं पुजि रयूँ 
भागी ! 
दुन्नी " जसि " देखीं 
उसि न्हाँ कौ। 
................
असौज में 
धान 
मेरि सुवा 
पधान।

शब्दार्थ:
धिरचाल - भूकंप, 
तुयी से तात्पर्य ईश्वर या प्रिय से भी है।
नन्तरी - वरना , 
कैक - किसका या किसके,  
पोरुवैं की - परसों की ( बीता हुआ)

August 31, Sep 18, 2017
...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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