जा रे पोथिला - कुमाऊँनी गीतों क् संकलन

कुमाऊँनी लेख, जा रे पोथिला - कुमाऊँनी गीतों क् संकलन, collection of kumaoni songs by Sher Singh Rawat, Kumaoni geton ka sankalan, Kumaoni kavya

"जा रे पोथिला"

शेर सिंह रावत ज्यूक 63 कुमाउंनी गीतों'क् संकलन
लेखक: कैलाश सिंह 'चिलवाल'

शेर सिंह रावत ज्यूकि 63 कुमाउंनी गीतों किताब 'जा रे पोथिला 'पढ़ीबेर एक सुखद अनुभूति चितै हो --मील। जसिकै एक सफल रचनाकार उ थै कयी जा जो पाठकौक् मानसपटल में आपु घर बणै ल्यू, उसिकै एक गीतकाराक गीतों कै तब सफल कयी जा जब उ गीतों के पढ़िबेर और  सुणिबेर स्रोता आफी -आफी थिरकूं भैजा। 
तौ हिसाबल मी कै सकूं कि शेर दा द्वारा लिखित 'जा रे पोथिला 'में संकलित गीतोंल मी कै कुतकुताई (गुदगुदी) जै लगै हैली  ---आब् मी उनार संगीतबद्ध गीतों कै सुंणणै लिजि छटपटाणयूं! -
--"नी बताली झन बतैये
मी फास् खै द्यूलों
जो बाट् तू रोज जाली
 तिकणी सतूलों"---
नानि डाई काफल, काफल् के पाका झक --"
शेर दा गीतों में श्रंगारै भरमार छ् हो और यैक दगाण हंसि मजाकै पुट लै ,देखों धै ----
"ताल् घरै कि सरू 
तू बाट् में होली ठाड़ि ,
धन सिंह हौलदारा 
घुर घुर चलालै गाड़ि। "
शेर दा श्रंगारक दगाड़' मनखी क् पीढ़  'कै लै भौत सितुल  ढंगैल आपण संवेदनशील स्रोता तलै पुजै दिनी, उदाहरण उनौर् "को देश घुघुत है लै " गीत में एक पक्षी'क  माध्यमल प्रेयसी'क मनाक् भावों कै कसी बतूड़ी देखों और महसूस करो धै ----
"भड़- भड़ा दिन चैत को म्हैड़ा 
खेतों में फुलण फै गो छौ दैणा 
जा रे पोथिला! झुरि गे ज्वाना 
उड़ि जा रे फुर्र फुर्र ---"।
कुमांउनी गीतों में मीकै सबू है भल् छपेली गीत लागु हो और उ में चार चांद लागि जानी जब मुखड़ा है पैली और बीच बीच में 'न्यौली ' पुट दि दिनी --
"अल्मोड़ा का बीच बजारा चहा को होटल, 
कागज में लेखि दिए माया कौ टोटल। -------
हाय् हाय् ओ हिमा छुम छुमा। "
हमर पहाड़ो में जादेतर छपेली गीत युवक -युवतियों या फिर प्रेमी -प्रेयसी कै ध्यान में धरिबेर लेखि जानी, पै, शेर दा जरा हटिबेर इमै हंसि मजाक लै करि दिनी मगर केवल स्वस्थ और मर्यादित देवर -भौजीं संबादौ क् रुप में -----
देवर : छींटै की घाघरी घाघरि में बुटै ना। 
कां जानैछै भौंजी त्यार् भीपनै खुटै ना।। 
भाभी: दस हाथै कि धोती म्येरि धोति में छ्व्ड़ै ना। 
कथां जानु देवरा! म्यौर् मन क् ज्वड़ै ना।। 
शेर दा एक परिपूर्ण गीतकार छन् किलै कि 'जा रे पोथिला' में उनूल क्वे क्वे अनछुई पहलू लै भलीकै संजीदा हैबेर उजागर करि रैयी और हमूंकै यौ सीख दिनि कि हमर रीत-रिवाज मरण नी चैन हर हाल में ज्यून रौण् चैनी ---
"पुराण सैणीं सकुनांखर आजि लै गैनी,
आंजा क् कूनी -
'बन्नों तेरी अंखियां सुरमेदानी '।।
दगड़ियो आपु लै यौ किताब 'जा रे पोथिला' क् प्रति जल्दी मंगै ल्हियो और आनंद ल्हियो शेर दा गीतोंक। जा रे पोथिला में 63 गीतों संकलन छु, मील लै आजि मणीं सा पढ़ि रैयी, बकाई अनुभूति कै यौ 'समालोचना' क् अघिल किस्त में बतूल मी आपुकै। 
शेर सिंह रावत ज्यूक नं- 7860869548
किताबै प्रति आपु श्री धन सिंह मेहता 'अन्जान 'ज्यूक माध्यमल लै मंगै सकछा -
सादर,

कैलाश सिंह'चिलवाल'। 28/07/2021
 

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