
-:तीतर न बटेर में:-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
आपण नय मकान में काथ छु
परसाद हाथन ध्यान न्हैगो व्हां
जब नान छियां कसार खांछियां
एक दुसारा'क मुखन फूंफां कर्छियां
हर पुन्यू दिन या बुबु'क सौरास हुं
आम् बणूंछी गुड़पापड़ि कसार
जब लै केलै बणू पुराणि याद एजैं
मकं भितेर बै हूक जै उठ जैं हौ
आय लै मैं आपण पहाड़ ल्हिबेर
भीतेर म्योर बालपन ज्यूनै छु हो
आमाक टिरैंक बै पुराणि बाल मिठ्ठै
इजाक आंगाड़ा'क खल्ती में मिशिर
बड़बाज्यू जेबन बिलैं मिठ्ठै नि भुलीन
सगड़ में चहा, भुटी भट्ट घ्वाग च्यूड़
रोटौक गोज भितेर घ्युचिन या मौ
निभुलीन मकं खान-खानै स्कूल जाण
स्कूल बाद तात खाण आमा'क आण
खेल-खेल में पढ़ाय गरम घ्यु र् वाट
ताजि तात दूध कैसि नि करूं याद
यो दिखावै'क दुनि लिजि छाड़ि मैल
आपण घर आपण हौ आपण भकार
यां घर सामान नय गाड़ि सबै मौत
हर सामान में कर्ज भागम-भाग इतु
ऐस करन करनै नानतिन लै अणकस्सै
आब हम रै गयां न तीतर में न बटेर में
मौलिक
अरुण प्रभा पंत
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