घरवाव हुं घरवाइ'कि चिट्ठी

कुमाऊँनी किस्सा - घरवाव हुं घरवाइ'कि चिट्ठी Wife's letter to husband, Kumauni Kissa

घरवाव हुं घरवाइ'कि चिट्ठी 

लेखक: श्री महेन्द्र ठकुराठी, मो.-9411126781
तिथि-7 पैट वि.सं. 2068
भंडारीगांव, गंगोलीहाट (पिथौरागढ़) 

म्यर पराणि क प्रिय स्वामीज्यू! गव अङाव हालि बेर भौत-भौत -प्यार।  तीनै नानतिनौ तरफ बै बौज्यूक खुटन में जोल हात धरि बेर पैलाग। यां हम खुशी-खुशी ल जीण रयां। तुमरि कुशल बात ठीक-ठाक चानू । गों घरक हालचाल लै सब ठीक-ठाकै छन । म्यर सासु-सौरनकि तरफ बै लै शुभ आशीष कबूल करिया।

राजू आब हिटण फैगो।  मैंथें हर बखत बौज्यू कब आल बौज्यू कब आल के बेर सोदनै रूंछ। भैंस अछ्यालनै ब्यैरौ। भौतै भलि थोरि है। हमर तीन-चार गड़नक चाव उधरि राछी। फकिरूवल चिनि-चानि सई करि है । धौलि गोरू मङसिर में ब्यानेर छु। तब तक भैंसकि धिनाइ खै ल्यूंल । तुमर छुट्टी औण तलक खूब घ्यू बणै राखुल। 

तुमार भेजी तीन हजार रूपैंक मन्याडर मिलि गो। वीमें बटी फकिरूवकि मजुरि दी है। मेरि नंद लछुलि रक्षाबंधन हुं मैत ऐ रछी। तिसरै दिन आपण सौरास हुंन्है गछी।  हफ्त भरिकि थें रोकणक ऊपर मैंल भौत जिद करी, लेकिन कूणैछि कि भैंस वीक है अलाव कैथें नैं सौण।  उ बतूणैछि कि वीक घरवावल अछयालन जादेई पिण-खाण शुरू करि है। 

तुम जब घर आला त एक दिन वां जैबेर उनूकें भलीकै समझे आला। अगर उसई बाट में ऐ जाल त बिचारि ललि क घरबार सई ढङल चलल।  बिचारि जाण बखत भौत डाड़ मारणैछि।  जल्दी-जल्दी छुट्टी ल्हिणकि कोशिश करिया। मैंकें तुमरि भौत याद ओंछि। तुमरि याद में कुछ न्यौली गीत लेखणयूं। उनके पढ़िबेर म्यर मनकि पीड़ के समझणकि कोशिश करिया:
1. सुनारै का दुकान में चेहरदार चांदि।
    तेरि माया ले बेडि राख्यूं सरपै की भांति।।
2. भात खायो भदेलि धोई परालि कोया ले।
    तां माया पुजनि छ नैं यां म्यारा रोया ले।। 
3. बासुलि की रूड़धुड़ बिणै की कौकार।
   आँसु ढालि नैं फिटनू हिया को धौंकार।। 
4. हतल गैलि का गाड़ा, तिमुलो टुरानु।
    न तैलै बाटुलि लाए, नैं आग भुरानु ।।
5. रात ओड़न्या रात कामली दिन ओड़न्या डौटि।
    जा जा चिट्ठी जानी रये जल्दी आये लौटि।।

म्यर स्वामी!  इतुकै में सब समझि जाया। आपण जहान कपुर ध्यान धरिया। घरकि के फिकर झन करिया। चिट्ठी क जबाब जल्दी दिया। अलीबेर नौर्तन में घर औणकि पुरिकोशिश करिया। हम सब बाट चै रौंल।

तुमरि हियकिरानि- सरूलि।

(पहरू कुमाउनी पत्रिका जनवरी २०२० अंक से साभार)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ