
बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार...
रचनाकार: दीपक चंद्र सनवाल
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बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार
हारौल कोरोना, फिर आलि बहार
माना भ्यार मुसीबत बड़ी छू
ज्यौन-मरण क विपदा खड़ी छू
वायरस जाने कां कां लुकी छू
पर तुमुल करणौं इतुकै उपचार
बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार...
आज देश कै हमर जरूवत छू
सबु पारि ऐ रै यौ मुसीबत छू
यौ झन सोचिया मैं इकलै छू
सब छै दगड़ डॉक्टर पुलिस सरकार
बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार...
आपुण इम्यूनिटी बनाइए रखिया
साबुण ल आपुण हाथ धुने रहिया
नान-ठुला कै लै समझाने रहिया
धरो धीरज नि सुंणो अफवाह बेकार
बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार...
है जाओ मुंणि दिन तुम सबु है बै न्यार
हाथ मिलांण छोड़ि करो दूर बै नमस्कार
जीतुल हम हैलि भारत क जय जयकार
मोदी ज्यूल लै हाथ जोड़ि कै है कतु बार
बस मुंणि दिन तुम नि जाओ भ्यार...
दीपक चन्द्र सनवाल, April 7, 2020
पहाड़ी 'दीप'
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