
-:भागुलि आ'म क बिज्ञान :-
लेखिका: रेखा उप्रेती
'मैस चनरमा में पुजि गो'
यौ खबर देर-सबेर भागुलि आ'म तक ले पुजि गेयि।
पुण्यू'क बर्त भौय कुँछा...बाखई में रत्ते बटी स्यैणियाँ 'क हाका-हाक हई भै। कोइ बोजि नौव बै नै बेर ए ग्याय, कोई काखि पाणि ततै बेर माल गोठ'क क्वाण में बड़ाई गोसल में फैटि रयिँ... क्वै जेड्जा क्यारि बटी फूल टिपि बे पुजसात बट्यूँ ण में लागि रैयिं। कै'के द्याप्त ठौ बटिक सांक-घाँट 'कि घन-मन आर-पार बाखई में डोई रै...
'हिटो रै झिट्ट देवथान जै उनुँ' कुनै सब्बै बटि-बाटि बेर बा'ट लागि भाय...
भागुलि आम'ल त सुंदर कै दाव-भात-टपकि बड़ बेर नात-नतिणी लै खवाय, आपणि लै पेट पूजा करि ली... फिरि आंगण में पुठ घाम लगै बेर बैठै'य...
दिन-भर स्यैणी'नक सट्पटाट लागिये भौय। घर-बण'क बुत त रौजै कै भौय, पै आज बर्त में उज कां उनेर भैयि...उदुकै कर जदु ज़रूरी भौय...
ब्याऊ-ब्याऊ करै फिर पुज-पाति'क तैयारि हूण भै गेयि।
सब्बनै गोठ बटि धुँग दगड़ि गुड़-पापड़ि'कि भुटैन महक तैरण भै गेयि... दिन छिपते सब्बै स्यैणी हात-खुट ध्वे पुज-पाति में व्यस्त है ग्याय... फिर ढलुक-मंजीर' ढम-ढम खन-खन दगै 'जय लक्ष्मी रमणा...'
भागुलि आमे'ल लाई'क साग दगै भुटि खुश्याणी'क टपुक लगै रवाट दनकै लि... फिर खुट ता'र-ता'र करबे चाख में बैठि छाज बै भैर हुँ चै रै...
भैर अगास में सुंदर चनरमा छाजि भौय...आंगण में भली जून लागि भै... भागुलि आमा'क ख्वाव बटी चमचमान चनरमा देखि रौय...
आब सब्बै काखी, जेड्जा, बोजी थाई में आरती सजै बेर आमा'कै ख्वाव में एकबटी रा'य ... एक हाथ में घंटी, एक में पुज थाई... आंगुअल अक्षत पिट्ठ्या छिटक बे, सब आरती करण लागिं रा'य...
"आमाs तुम नि करना पुण्यूं बर्त?..." मी पुछि बैठ्यूँ।
"दैss !! के हुँ करनू बर्त..." दाँत खचोरँण छोड़ि बे आ'म कूण्ं बैठी...
"मैस चनरमा में जै बेर हगि ए गो बल...."
(रेखा उप्रेती), 02-01-2021

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