हाथि दगड़ सर्गैक सैर - कुमाऊँनी बालकथा

हाथि दगड़ सर्गैक सैर - कुमाऊँनी बालकथा,hathi ke sath swarg ki sair kumaoni kahani,kids story in kumaoni language

❤️"हाथि दगड़ सर्गैक सैर"❤️


पैल टैमै’की बात छू, भावर में धनसिंह (धनु) नामौक एक मनखि रौंछि। ऊ खेतीबाड़ी कर बेर गुजर करछि और वीक खेतों में रिखु’कि भलि फ़सल हुंछि। एक दिन राति जब ऊ उठा तो वील देखा कि, वीक खेत में रिखु’की फ़सल क्वे जानवर रात में चौपट कर गयिं। यौ देख बेर धनसिंह(धनु) कैं बड़ि हैरानि और दुख भौ और वील रात कैं खेत में पौहर करणै की सोची। रात कैं जब धनु पौहर कर॒ण्छि, तब वील देखा कि एक भारी-भरकम ठुल्लो हाथि असमान बटि उतरा और रिखु की फ़सल कैं चरण में लागि गो। भारी-भरकम हाथि कैं देखि बेर अमरसिंह डर गा पर वील हिम्मत धरि और हाथि’क जांणौक इन्तजार करण लागा। जब रिखु खै बेर हाथि छक गा और असमान हुं उड़्न लागौ तो धनुवैल वीक पूछ्ड़ पकड़ ली। हाथि बिजुलि’की रफ़्तारैल उड़ि बेर सिद्द सर्गलोक में पुज गो। हाथि’ल धनु दगड़ मनखियों की भाषा में बातचीत करि और वीकि भलि आवभगत करि। दुहर दिन हाथि’ल धनु कैं वापस वीक खेत में छोड़ि दे। घर वापस ऐ बेर धनुवैल पूर गौं कैं इकट्ठ करौ और आपुण सर्गैकि यात्रा’क बड़ै-चड़ै बेर बखान करौ। गौं वालों’ल धनुवै’कि बातोंक विश्वास नि कर और वीक मजाक बणाते हुये कौ कि "तस जै के हूं, धनुवां या तो तू पगली गै छे या त्वील रात में क्वे स्वींण देखौ।" तब धनुवै’ल कौ "मैं सांचि बुलानयुं, अगर तुमुकैं विश्वास न्हाति तो अगर तुम चाहो तो मैं तुमुकैं स्वर्गैकि सैर करै सकनु।" यौ बात सुणि बेर सब गौं वाल धनु दगड़ सर्ग जाण हुं तय्यार है गयिं। तब धनुवैल कौ यैक लिजि तुम सबुं कैं म्यर दगड़ रात में म्यर खेत में हिटण हौल। दुहर दिन रात होते ही पुर गौं धनुवा’क खेत में पुज गो। आदु रात में सबुंल देखौ कि हाथि फ़िर असमान बै खेत में उतरा और रिखु खाण लागौ। तब धनु हाथि’क पास गो और वी’थैं गौं वालों कैं लै सर्गै’की सैर करौणै’की बात की। धनुवां’क आग्रह पर हाथि सबूं कैं आपुण दगड़ सर्ग ल्हि जाण हूं राजि है गो। जब हाथि’क पेट भरि गो और ऊ उड़न हुं तय्यार हो तो धनुवै’ल हाथि’क पूछड़ थामि ले। वीक बाद एक गौं वालै’ल धनुवौ’क खुट पकड़ ल। यसिकै सब गौं वाल एक दूहरौ’क खुट पकड़ बेर हाथि दगड़ लटक गयिं। सब गौं वाल एक दुहर कैं खुटों बटि पकड़ बेर असमान में उड़न लागिं। पर उनार मन में स्वर्गाक बार में अनगिनत सवाल छी। सब गौं वाल धनु हैं सर्ग है सम्बन्धित प्रश्न पूछण लाग रछि और धनु एक-एक करि बेर उनार जबाब दिण लागौ। तबै एक गौं वालैल सवाल पूछौ कि "धन’दा यौ बताओ कि सरग में स्यो (सेब) कतुक ठुल हुनि?"
धनुवैल हाथ खोलि बेर जसिकै बतुण चाहा, वीक हाथ बटि हाथि’क पूछड़ छूटि गो। तबै धनु समेत सब गौं वाल सीद्द असमान बटि भटम धरती में घुरि पड़। वीक बाद पत्त नै कतुक सर्ग पूजिं और कतुक नरक में!

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