बाइक और घरवाली

बाइक और घरवाली-कुमाऊँनी कविता, kumaoni poem comparing the nature of wife and motor bike, patni aur bike par kumaoni kavita

बाइक और घरवाली

रचनाकार: राजू पाण्डेय


बाइक वाला लै हैलमेट 
और ब्या वाला लै घर वाली
मुडे में राखन चैं
जान और इज्जत बनि रूछी...

बार बार किक मारना जरूरत ना 
फटक घरवाली बात सुनि बैरे
बस सेल्फ स्टार्ट हुन चैं
आपनि मेंटेनेन्स बनि रुछी....

गेयर आफी आफी बदली ज
घरवाली बातो लै और मुडे लै
मैसे लै ऑटोमैटिक हुन चैं
जिंदगी में स्पीड बनि रुछी....

~राजू पाण्डेय, 29-01-2021
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