दुदो-कर्ज
रचनाकार: राजू पाण्डेय
उर्वा दत्त ज्यूँ और उनुकि घरवाली आज उदास है रयान, आज सेतु गौरू मरी ग उनुको, खूब सेवा टहल करि दुवौलै बुड़ा गौरू की।
आज है कोई चार साल पैले की बात छ, उर्वा दत्त ज्यूँ का चेला मोहने लै नन्तिना पढ़ाई थैं जिला मुख्यालय चम्पावत में रुनो फैसलों करि, सरकारी नौकरी छ चेला की, चेला ब्वारी लै जिद करि ईजा बाज्यू थें लै पछेटे (साथ) हिटना की, उनुकि जिददे अग्गा बुडा बुडी की ना चलि। बिचार बनो की महीना बाद सब चम्पावत शिफ्ट है जाला। एक गौरू दूनो छयो वो बेचि दी, एक गौरू जैको नाम सेतु छयो उ तीन चार साल पैले बेचि हॉलिछयो, कै खास रुकावट ना छि आब चम्पावत शिफ्ट हुना में।
उर्वा दत्त ज्यूँ दयू दिन बठै परेशान लागि रच्छया, कै खान पिन लै ना रच्छया, घर वाला सब परेशान, पूछो त एके जवाब, "कै ना है रयो ठीक छु मि"। चेला ब्वारी कै लागो शैद चम्पावत ना जान चांन्या और कै लै ना पांन्या, पूछन पर मुड हिला बैर जवाब दी कि चम्पावत जानाकि परेशानी ना छन। ब्याकल कै देबता बैठाया त उनुलै लै 3 घड़ी बीत राखी दी।
रात दयू बाजि करिब मोहने आँखा खुली त देखो बाज्यू आपनी चारपाई में ना छया, मोहने लै हड़बड़ा आपनी ईजा और घरवाली के उठायो और भैर आँगन में आबैर देखो त उर्वा दत्त ज्यूँ आँगन में चक्कर लगून नछया। मोहन बाबू के भिरत ली आयो, ब्वारी रून पड़ी, "पत्तो ना कि लागि ग बाज्यू कै", "बताओ धै बाबू के गलती है गे मि बठै, के गलत निकली ग मेरा मुख बठै त माफ करि दी मि"। ब्वारी रुनो देखी उर्वा दत्त ज्यूँ का आँखा लै छ्लकि आया, "बेटा तेरी के गलती ने छ, मेरा मन मे पराश्चित हुन नो"। कि भ बाबू क्या को पराश्चित?.... मोहन बोल्यो। मोहन यार जो ..... कि जो बाबू बताओ त? जो सेतु गौरू.....उर्वा दत्त ज्यूँ फिरि रुकि जानोन। जो सेतु गौरू हामुळे दयू ढाई साल पैले बेचि छयो पोर (परसों) उईके कसाई लिजानछयो....
परुली (उर्वा दत्त ज्यूँ कि घरवाली) - है रामो! आफि लिजाछ पै, हामुळे त ठीके आदमी के बेचयो भयो।
उर्वा दत्त - येति साल हामुळे उइको दूद पी लेकिन बुढया काल कसाई लीगो, मारि देलो उ उईके, पाप लागलो।
परुली - क्ला पगली रहा? हामु क्याको पाप, हामुळे थोडी दिरा कसाई के।
उर्वा दत्त - तू समझ कला न रयि....
मोहन - अरे कै बात ना ईजा, येल सब सिजा, रात्ते देखनु कि हुछ।
अगल दिन मोहने लै आपनी ईजा बठै बात करि और एक आदमी पछेट लिजा बैर सेतु गौरू खोज में निसि गयो, एक घरा भैर बाधिनो देखी गयो सेतु गौरू। मोहने लै पांच सौ में बूढ़ो सेतु गौरू खरीद ली और घर ली आयो, घर भैर सेतु गौरू देखि उर्वा दत्त ज्यूँ का खुशी में छ्लकि आया, मसारन मसारना (प्यार से सहलाना) सब किन्ना झाडी दिया, फटाफट पानी की बाल्टी में नुन खिति बैर पैवा हालयो, उर्वा दत्त ज्यूँ खुशी और फुर्ती देखि घर वाला हैरान छया।
उर्वा दत्त ज्यूँ लै असल कै खानो खा, फिर चेला ब्वारी के बुला, "देख बेटा! जब तक यो सेतु गौरू छ हाम बुडा बुडी एको ध्यान राख्ना, तुम खुशी खुशी चम्पावत जा, हामरी बिल्कुल लै चिंता जिन करया और मन मे के पाप लै जिन मान्या, चम्पावत कौन सा दूर छ? बेटा तू लै के चिंता जिन करे तवै झे ब्वारी सबो के दयो भगवान।"
चेला ब्वारी नन्तिना बठै चम्पावत शिफ्ट है गच्छया, त्यार ब्यार घरे आ जांन्या भया। बुडा बुडी दुदो कर्ज चुकुन में लागि रया, खूब सेवा करि सेतु गौरू की।
~राजू पाण्डेय, 04-09-2021

=============================
बगोटी (चंपावत - उत्तराखंड)
यमुनाविहार (दिल्ली)
bagoti.raju@gmail.com
Copyright © 2019. All Rights Reserved
0 टिप्पणियाँ