खरी-खरी 790 : जलप्रलय में दफन

कुमाऊँनी लेख-जलप्रलय में दफन, article in kumaoni language, about lake burst in chamoli disctrict of Uttarakhand

 खरी-खरी 790 : जलप्रलय में दफन

(लेखक-पूरन‌ ‌चन्द्र‌ ‌काण्डपाल‌)

ऋषि गंगा में भौत बिकराल 
ग्लेशियर तांडव; 
दोष प्रकृतिक निछी, 
दोष मंखियक छी। 
चालीस लाश मिल गईं 
एक सौ चौसठ लापता,
क्वे रक्खड़ में दबी हुनाल  
क्वे बोल्डरों मुणि हुनाल
क्वे सुरंग में फंसी हुनाल,
गिच बंद छ, आंखां में छ पाणि
नजर ठाड़ि छ, कोछ चाण चिताणि ?
विनम्र श्रद्धांजलि, यस ह्वल कै नि जाणि।

दिल्ली बै चिट्ठी ऐरै ऋषि गंगा में ग्लेशियर तांडव उत्तराखंड में फिर प्रकृतिल तांडव मचा। २०१३ कि केदारनाथ त्रासदी जस मंजर फिर देखण में आ। ७ फरवरी २०२१ क रत्तै करीब ०९.३० बजी चमोली जिल्ल में य कुदरत तांडव हौछ। जोशीमठ क तपोवन इलाक में ग्लेशियर टुटणल तबाही मची। नदी में भीषण बाढ़ ल ११ मेगावाटक ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट सतकै बगि गो। तपोवन डैम लै येक चपेट में ऐगो। अनेक पुल लै बगि गई। सरहद दगै सेना के जोड़णी मलारी पुल लै बगि गो। य आपदा में ३२ लोगों कि ज्यान न्हैगे जबकि करीब २०० लोग लापता बताई जा रई। यहादसाल एक बार फिर उत्तराखंड में अंधाधुंध बांध निर्माण पर प्रश्न चिन्ह लैगो।

सेना, एयर फोर्स, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कि टीम सुरंग में फंसी मजदूरों के खोजण में लै रै। जून २०१३ में केदारनाथ धाम में आई जल | प्रलयक घौ आजि तक नि भरी राय। २०१३ कि भीषण आपदाल केदार घाटी और चमोलीकि खीरोंघाटी में भारि तबाही मचै जमें सरकारि आंकड़ोंक अनुसार ५८०० लोगोंकि जल समाधि बनी जबकि स्थानीय लोगोंल य संख्या दस हजार करीब बत। निर्माणाधीन ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट स्थानीय गांव रैणी क करीब छि। यई गौंक नजीक प्रसिद्ध फूलों कि घाटी लै छ। 

रैणी गौंक निवासियोंल २०१९ में जनहित याचिका दायर करिबेर उच्च न्यायालय के बता कि आसपासक क्षेत्र में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्टक बहानल अवैध खनन चलि रौछ और मलुवक निस्तारण नि हूं रय जैल पर्यावरण के भौत नुकसान हूंरौ और भूस्खलनक ठुल खत्र पैद हैगो। रैणी क निवासी शुरू बै य पॉवर प्रोजेक्ट कंपनीकि मनमानील भौत दुखी छी। कंपनील सब नियमों के ताक पर धरि बेर खतरनाक गतिविधियों के अंजाम दे। कंपनील पर्यावरण मानकों के ताक पर धरि बेर नदी में विस्फोटकोंल चट्टान फोणी और आंदोलन कि प्रणेता गौरा देवी व दगड़ियों द्वारा बनाई जंगवक बाट बंद करि दे। 

हाईकोर्टल पावर प्रोजेक्ट में विस्फोटक पर रोक लगै। य संबंध में चमोलीक जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बै जवाब मांगौ। य याचिका फिलहाल विचाराधीन छ। ग्लोबल वार्मिंग और हिमालयी पर्यावरण दगै | छेडछाडक कारण हिमालयी ग्लेशियर बतं रई कि अगर विकासक बहानल हिमालय कैं सतूनै रौला तो हिमालय भविष्य में यसिके क्रुद्ध होते रौल।

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