रचनाकार: हिमानी
अपण जेड.ज्य कै मी
नानछन में भौत खिजूणेर भई
जेड.ज्य मी कै तभै
भल नी माणिन भईं
जेड.ज्य क् गोरू-भैंस
खूब दूध दिणेर भईं
गोरू त् यो चौमास में
तीन बखत दूध दिणेर भई
फिर ले म्यर जेड.ज्य
सबूं थैं कुणेर भईं
कि करूं हो!
म्यर गोठक जानर
पटै सुखि गईं
पौ भर है ज्यद
दूध न दिणीं
हमर रोपाई खेत
धान ले भखार भरि दिन भईं
जेड.ज्य सबूं थैं कूणेर भईं
हमरि खेति सूखि गै हो
रातदिन अपण हाड.
यीं खेतण में मी घिसणूं
फिर ले सुप में धान ह्वै रईं
मी जेड.ज्य कै खिजूंणेर भईं
जेड.ज्यौ! ततुक झुठि किलै
बुलाणछा तुमि?
भितर धान ले भखार भरि रईं
दूध-दै ले सबै भाण भरि रईं
सत्यनरायण की काथ सुणीं तुमुले?
झुठि बोलाण में
लत्त-पत्त ह्वै जाईंछ
जेड.ज्य लकड़ ल्हि बेर
मी पै रीस करणैर भईं
क्वीड. पडि जालो तेर आँखण में
तेर नजर भलि नहांति
मी खित-खित करनै
भाजि जणैर भईं
जेड.ज्या!
झुठि झन बोलाण करिया
लत्त-पत्त सदै याद रखिया
हमर बचपन में
म्यर जेड.ज्य जसि
भौते जेड.ज्य हुंछी हो
जमाण भौत अघिल कै
बड.ग्यौ
पत्त न अब उस लोग
मिंलणीं या नी मीलणीं
कोई मी कै बताया हो.
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चित्र-गूगल से साभार
हिमानी © 09-08-2020
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