शकुनाखर - कुमाऊँनी मंगलगीत 29

शकुनाखर कुमाऊँनी मंगलगीत,kumaoni Shkunakhar geet, barat vidai and var-vadhu swagat ke shakunakhar geet

शकुनाखर-कुमाऊँनी मंगलगीत गायन

सरोज उपाध्याय जी भाग-२९
सुनें पारम्परिक कुमाऊँनी मंगल गीत प्रसिद्ध गायिका उपाध्याय जी के स्वर में

मित्रो,
श्रीमती सरोज उपाध्याय जी कुमाऊँनी की प्रसिद्ध भजन व मंगल गीत गायिका हैं।  पिछले कुछ दशकों से वह देशभर में अपनी प्रस्तुतियों से कुमाऊँनी संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रही है, साथ ही उन्होंने कुमाऊँनी में  धार्मिक तथा पारम्परिक संस्कार गीतों से सम्बंधित तीन पुस्तकें भी लिखी हैं जो निम्न हैं:-

१. उत्तराखंड के पारम्परिक जागरण व भजन
२. शकुना दे (कुमाऊँनी संस्कार गीत "शकुनाखर" का संकलन)
3. होली "फाल्गुन के रंग"

यहाँ हम सरोज उपाध्याय जी द्वारा प्रस्तुत संस्कार गीत "शकुनाखर" सुनेंगे।  नीचे प्रस्तुत हैं श्रीमती सरोज उपाध्याय जी के द्वारा गाये गये शकुनाखर की ऑडियो (सुनने के लिए थोड़ा इन्तजार करें, ऑडियो के लोड होने में २ मिनट तक का समय सकता है जो आपके इंटरनेट की गुणवत्ता पर निर्भर करता है ):-

सरोज उपाध्याय जी के स्वर में शकुनाखर 
ब्याह में विदाई का गीत-०७ "संभल-संभल पग धरियो......"



सरोज उपाध्याय जी के स्वर में शकुनाखर
ब्याह में विदाई का गीत-०८ "बन्नी थी आज तक बेटी........"



सरोज उपाध्याय जी के स्वर में शकुनाखर
ब्याह में वर-वधु स्वागत गीत-०१ "हरियाला बन्ना पतंग उड़ाता"



सरोज उपाध्याय जी के स्वर में शकुनाखर
ब्याह में वर-वधु स्वागत गीत-०२ "दूरि से आये पंडित ......"

आप से अनुरोध है कि कुमाऊँ के पारम्परिक धार्मिक गीतों व संस्कार गीतों के बारे में तथा सरोज जी के संगीत के बारे विस्तृत जानकारी के लिए सरोज जी के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। सरोज उपाध्याय जी के यूट्यूब चैनल का लिंक नीचे दिया जा रहा है :-

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