डोलीडाना - कुमाउनी इंटरव्यू, श्रीमती सरोज उपाध्याय ज्यू

कुमाऊँनी भाषा में साक्षात्कार-वरिष्ठ कवि-सहित्यकार श्रीमती सरोज उपाध्याय ज्यू  Kumauni Language Interview with Kumauni Litterateur Mrs. Tara Pathak


★कुमाउनी इंटरव्यू: श्रीमती सरोज उपाध्याय ज्यू
हमार कुमाउनी रचनाकार【19

मित्रो, मैं लगातार आपूं सब लोगनकें परिचित करूंण लाग रयूँ हमार कुमाउनी लोकभाषा रचनाकार'न दगड़ी। जो आपणि लेखनील हमरि कुमाउनी बोलि-भाषा, संस्कृतीक विकास में आपण योगदान दिण लाग रयी। तो आज मैं आपूं सब लोगनाक् सामणी ल्यै रयूँ। श्रीमती सरोज उपाध्याय ज्यू कें। जो मूल रूपल हमार पारंपरिक गीत जसी शकुनाखर, मांगल गीत,जागरण गीत, ईश्वर भजन इत्यादि छन उननकें सहेजण'क काम करनयी ताकि हमरि ऊणीं वाली नयी पीढी लै इननकें समझौ और अपनाओ। इनर जनम अप्रैल 1957 हूँ अल्माड़ जनपदाक् राणिखेता नजीक मासर गौं में ईजा रेवती देवी बिष्ट व बौज्यू श्री चंद्र दत्त बिष्ट ज्यू घर में भौ। इनर ब्या गांव दैरी (द्वारहाट) श्री भुवन चंद्र उपाध्याय (S% स्व.श्री देवीदत्त उपाध्याय) ज्यू दगड़ी भौ।
प्रस्तुत छन इनन दगै हैई बातचीताक कुछ अंश.....

सवाल01◆ पढाई-लिखाई कां तक करै? और घरवाव् कि काम करनी?नानतिन कतू छन?
जवाब● मेरि पढाई-लिखाई कक्षा 8 तक जुनियर हाईस्कूल कफाड़ में भै। उभत वाँ अघिलै पढाई लिजी नजीक स्कूल नि भाय और चेलिन कें पढूंणा लिजी दूर नि भेजनेर भाय। यौ कारण मैं अघिल पढाई नि करि सकी। म्यार घरवाव् एम ई एस बटी रिटैर छन। हमार चार नान्तिन द्वी चेली मंजू और दीपा, द्वी च्याल योगेश और उमेश छन।

सवाल02◆ आपूं के-के काम करछा और लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● जब बटी ब्या भौ तब बटी घरौ कै कारबार खेति पाती, गोरू बाछा और नान्तिनों देखभालौ काम करौ। पैली बटी मैंस नौकरी और स्यैणीं घरौ काम करनेर भाय। मैंकें पढ़न-लीखण और गीत गैंणेकि भौतै शौक छी। म्यार मैंत में सब परिवार संगीता'क शौक वा्ल छी। जैक वील गौं में गीत बैर और पहाड़ी रामलील हुंछी। हम सब जाणी उमें भाग ल्हिछियां। लहक, तर्ज और अवाज भलि हुणा वील सब जाणी मैंकें बुलोंछी। सौरास में लै मैं गिदारि छुं कबेर भौत भल मानछी यै वील गीतों में म्यर हमेशा लगाव रौ।

सन 2012 में मेरि अचानक तबियत खराब हैगै। मालूम करण पर पत्त चलौ कर्क रोग हैगो। तब द्वी ऑपरेशन लखनऊ में भयी और छै कीमो चढाई। वी बाद फिर तबियत खराब हैगै। मैं आपण च्याल दगाड़ ईलाज करूंण हूं पूना न्हैं गयूँ। वाँ मैंकें 12 कीमो चढाई। यौ बीच में मैंन आपण नान्तिना लिजी एक डायरी में सब संस्कार गीत और भजन लिखी। म्यार नान्तिन इननकें सिखा्ल कबेर। किलैकि मैंकें बचणेकि के आ्श निछी। वी बाद म्यर तिसर ऑपरेशन बंगलौर मनिपाल अस्पताल में भौ। वीक 3 साल बाद स्वास्थ कुछ ठिक हुणा बाद। मैं आपणि चेली यां देहरादून गयूँ। गीतै डायरी मैंन आपणि चेलि कें दे। हमार जवैं'ल कौ इतू तबियत खराब हैबेर लै तुमूंन यतू गीत कसी लिखी और याद करी। यौ तो कुमाऊँ'कि धरोहर भय यैकि किताब छपण चैं। किताब छपलि तो पहाड़ा'क सब लोगना काम आली और जो हमरी संस्कृति बिलुप्त हुनै उ थ्वाड़ बचलि। तब मैंन उनरी कई बातों में के ध्यान न दी।

फिर एक दिन दुदबोली वार्षिक पत्रिका'क संपादक श्री मथुरा दत्त मठपाल ज्यू जो रामनगर, पंपापुर जनपद नैनीताल में रौनी उ हमार घर आई। उनून मैंहूं कौ भुली त्वील यौ भौत भल काम करि राखौ। यैकी किताब छापौ। अघिलाहैं पहाड़ा'क लोगना काम आलि। तूकें जे लै ऊं उ सब लिख। तब म्यर उत्साह बढौ और मैंन किताब छापणा बा्र में सोचौ।

सवाल03◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य'ल आपूं कें प्रभावित करौ?
जवाब● हमार जवैं विनोद भट्ट ज्यू, मथुरादत्त मठपाल ज्यू और म्यार घरवाव् श्री भुवन चंद्र उपाध्याय ज्यू।

सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● म्यार लोकप्रिय मनखी हमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यू छन।

सवाल05◆ एक तो घरेलू महिला, वी मली बै कुमाउनी लेखक हुण कतू संघर्षमय छ?
जवाब● एक घरेलू महिला लिजी भौत संघर्षपूर्ण छ। आपणि लेखनी चलूणा लिजी भौत मेहनत करण पड़ैं। उलै जब उच्च शिक्षा न ली भै। घरौ काम खेती-पाती वी मली बै पहाड़ौ जन जीवन।

सवाल06◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● म्यार शौक पढन-लिखण, भजन, गायन और खेति-पाती करण छन।

सवाल07◆ आपूं को-को विधा में लिखछा और आपुणि लिखणेकि मनपसंद विधा कि छ?
जवाब● मैंन जो हमार कुमाऊं'क पारंपरिक संस्कार गीत (शकुनाखर) हुनी उ और जागरण गीत दगै भजन लिखी राखी। यो सबै मैंकें भल लागनी तबै मैंन इनन् कें सहेजौ लै।

सवाल08◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी में किताब लै छप रयी? छप रयी त उनर नाम कि-कि छन?
जवाब● म्यार हिंदी कुमाउनी में तीन किताब छप रयी - 
(१) 'उत्तराखंड के पारंपरिक जागरण एवं भजन', 
(२) 'शकुनादे' उत्तराखंड के संस्कार गीत और 
(३) फागुन के रंग 'होलि'।

सवाल09◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● मैंकें आई तक पैल किताब 'उत्तराखंड के पारंपरिक जागरण एवं भजन' प्रकाशित हुण पर द्वारहाट महोत्सव में हमार विधायक महेश नेगी ज्यू द्वारा सम्मानित करी गो। मैंन तो पुरस्कार पाणा लिजी आजि तक के प्रयास न कर। मेरि कोशिश आपण संस्कार और आपणि संस्कृति बचूणनकि लिजी छ बस।

सवाल10◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा।
जवाब● यौ सन 1998 की बात छू। जब म्यार घरवाव् अल्माड़ में नौकरी करछी जेठक महैंण भै हम कालोनीक छै स्यैणीं मंदिर डोलीडाना (जो कर्बला मली जंगला'क धार में छ) वाँ दर्शन और पुज पाठ हूँ गया। उ बखत वाँ पाणि लै न मिलछी। हमूंन नाश्ता पाणि धरौ किलैकि पैदलक बाट छी भुक लागली खौंन कै। पुज पाठ करिबेर हम लोग भजन करनाय त हमूंन देखौ कि जंगल में चारों तरफ बटी आ्ग लागीगो और हम लोग बीच में फसि गयां। कुछ स्यैणीं जंगल में लकाड़ लिजाण हूं लै आई भाय। फिर हम सबूंल, कैलै हरी सौंवल त कैलै पाणि डालिबेर उ आ्ग बड़ि मुश्किलोंन एक तरबै बुझा। उदिन हमरि ज्यान कसी बचि गयी आई लै याद ऐं।

सवाल11◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं खुशी वाल एक मौक बताओ धैं?
जवाब● जब मेरि पैल किताब 'उत्तराखंड के पारंपरिक जागरण एवं भजन'क बिमोचन भौ। यौ एक सामाजिक काम छी। ठुल-ठुल मैंसोंन और साहित्यकारों'ल किताब खूब पसंद करै व धन्यवाद लै दे। जै वील म्यार मन में भौत खुशी भै।

सवाल12◆ आपुण घर में आपूं कें लेखन कार्य करणा लिजी सबसे जादे कैक सहयोग मिलौ?
जवाब● म्यार लेखन में सबन हैं जादे सहयोग म्यार घरवाला'क और चेलिक रौ।

सवाल13◆ साहित्य लिखण और पढन जरूरी किलै छ?
जवाब● साहित्य लिखण और पढन यै लिजी जरूड़ी छ किलैकि सहित्य भौत पुराण बखत बै लिखी-पढी जनों। लिखी पढी न जानौं त पुराण वेद, पूराण, ग्रंथ हमन तक न पुजन। जसी कालीदास, सूर, तुलसी, मीरा और लै भौत महान साहित्यकारों बटी यौ हमन तक पुजी भै। उसीकै यौ बखताक साहित्यकार जब लिखाल पढाल तबै यौ हमेरी ऊणी वालि पीढी तक पुजल्।

सवाल14◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन एक-एक नाम बताओ?
जवाब● श्रीमती माया पांडे अल्माड़
और श्री मथुरादत्त मठपाल रामनगर।

सवाल15◆ महिला लोग टीवी में भौत नाटक वगैरा देखनी आपूं टीवी में के देखण भल मानछा?
जवाब● मैं तो टीवी में धार्मिक चैनल जादा देखूं जमें भागवतै का्थ ऐं। नाटक वगैरह जादा न देखनी। हां अज्याल रामायण और महाभारत देखण लाग रयूँ।

सवाल16◆ पहाड़ी खाणु में आपण मन पसन्द खाणु के छ?
जवाब● घौत, मासैकि खड़ी दाल, भटाक डुबुक, मासौक चैंस, पाऊंवौ काप-पयो(झोई) दगै भात भौत भल मानूं।

सवाल17◆ नवोदित लेखक व महिला रचनाकारों हूं आपूं कि कूंण चाँछा?
जवाब● मैं सबै रचनाकारों धैं कूंण चानूं कि हमरी कुमाऊँ संस्कृति, तीज-त्यार, रीती रिवाज और लोकगीतों बार में जतू लेखि सकछा लिखो। सबूंल मिलीजुली बेर आपणि कुमाउनी बोलि-भाषा कें अघिल बढ़ूण चैं तबै यकें हमार नान्तिन लै सिखाल। मैं तो यूट्यूबा माध्यम'ल लै आपण किताबा गीत लोगों कें सुणूनयूं। कि यौ गीत कसी गाई जानी कबेर।

सवाल18◆ हमरि कुमाउनी बोली-भाषा,साहित्य संस्कृति'क विकास कसिक होल् बताओ धैं?
जवाब● हमरि कुमाउनी बोलि भाषा साहित्य विकास तब होल जब हमरि भाषा पाठ्यक्रम में लागू होलि। साहित्य तो लेखकों और पाठकों मध्यम'ल लै बढि जाल। लेकिन अघिल बड़ूण तैं और नयी पीढी कें सिखूण तैं सबन कें जगूंण और समझौण पड़ल। तबै हमरि संस्कृती'क विकास हो्ल।

सवाल19◆ क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं हम सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● मैं तो आपण सब कुमाउनी भै-बैणिंयों थैं योई कूंण चानू कि आपणि संस्कृति पर ध्यान दियो। आजकल लोग जनमबार में केक काटनयी और काम काजों में मंगल गीत छोड़ि डीजे बजूंनयी यौ देखिबेर मन दुखी हैजां किलैकि यौ हमरि संस्कृति नभइ। आकाशवाणी अल्माड़, एफ एम रेडियो देहरादून आदि जाग जाबेर मैं आपणि संस्कृति, लोकगीत, त्यारों बा्र में कार्यक्रम में भाग लिआयूं। म्यर प्रयास अघिलाँ हैं लै जारी रौल! अगर भगवान साथ द्यला तो।।धन्यवाद।।
भौत-भौत शुभकामनाएं आदरणीया आपूंकें
ईश्वर आपूं कें उत्तम स्वास्थ और दीर्घायु प्रदान करौ।

सप्रेम धन्यवाद।

प्रस्तुति~राजेंद्र ढैला काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि राजेंद्र ढैला जी के बारे में जानने के लिए
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