थर्टी फर्स्ट- कुमाऊँनी व्यंग्य

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थर्टी फर्स्ट


भीतरपन अरडपट्ट हई भै.. लगभग साढे ग्यार बाजि मैलि बिस्तर छोड और मूख में पाणिक चार छिट मारिबेर ख्वार में लिख्खी कांईल मारिबेर मैलि बाल बणाय . बाल कां बटी बणछी बाकि जै ठाड लागि ग्याय।  मैलि ख्वार में हाथ मारिबेर बाल बैठूणकि कोशिश करि और निकलि गेयूं मौर्निग वाक क लिजी।  आब तुम कौला साढे ग्यार बाजि कस मौर्निग वाक ..??v लेकिन ह्यून में तसै हूं .. भाल भाल छाव-छरबट मनखी ले रत्तिब्याण बिस्तर भितर पुडी बणबेर जब सिति रूनी तो उठण में यस लागौं कि कैलि सजा दि राखी 

खैर जब मी बाटपन पुज्यू तो बार बाजि भाय.. तैलि बटी खडकसिंह उण लागि भै।  मेकें देखते ही वीलि आवाज लगै.. यां आ रे बामणा प्वाथ.. हमेशा ओ गुरू पैलाग कूणी खडकुवाक संबोधन सुणिबेर मेके अन्ताज लागि गे कि खडकू मुया आज रत्तै बटी बंशीलाल पीबेर ऐ गो..  मैलि मनै-मन सोच कि को लागौं तौ रनकारा मूख रत्तै ब्याण तो मैलि बाट बदणकि सोचि.. तब तक खडकू मूखै लै पुजि गे।  कूण लाग- ओ गुरू, पांच तारीक एक काथ करै देला कि.. च्याल ब्वारि हनीमून बटी उणान थट्टी पस्ट मनै बेर .. सोचणयू एक काथ करै ल्यूं फिर नई साल ले भय..

मेर मूड खडकूवाक यां काथ करूणक बिलकुल नि हई भै।  हालाकि अलबेर कोरोना वीलि मेरि जजमानि बिरती खडपट्ट हई भै कति बटी पुन्यू बर्तक परसाद ले प्राप्त नि भै।  फिर ले खडकू रनकौर कमचूस मरि रौ।  मैलि खडकू छैं कौय - यार खडक सिंह त्यार यां काथ मेरि बिति नै हुनि।  रत्तै बटी दिनमान बर्त करो फिर त्यार यां तीन चार घन्ट खाप खाओ जस्सै दक्षिण दिण क टैम आय तो तेर भेल चिमडी जानन।  पोरबेर जो त्वीलि धोति दी राखछी वीहैबेर जाव बाकि भल हूं.. जो कुर्त क कपड त्वीलि काथ में धरौ वीक अर्ज ले पुर नि छी.. 

खडकू हंसण बैठ गे, वीकि हंसि मेके बिलकुल भलि नि लागि।  मैलि कौय- आज कि छन रंग.. यो दिन दोफरी टैट हैरौछै.. खडकू कूण लाग- के नै यार बामणज्यू .. आज थट्टी फस्ट भोय।  ख्वाड बहुत झल्ल हुनेरै भै।  मैल कौय- पैं ब्याल बखत करनै झल्ल .. यो दिन दोफरि.. खडकू कूण लाग- अरे  यो तो खालि ठन्ड हैरौछी तो... जसके भैंस कें हत्यूण है पैलि पगुरयूनन तो ब्याल बखत क लिजी मी ले पगुर रून.. एक पऊ तबै रत्ति ब्याण चंणका.. दिन भर झमझमाट जस रौल.. ठीक ब्याल बखत जब उतरणक टैम होल तो उभत खोलि जाल एक पुर खाम्.. एक बाकरकि सांपडि लूण जांणयू.. आहा सुन्दर रसदार बणाई जाल.. तुमन ले गल भिजूण होल तो पुजि जाया.. रम छ.. गरम पाणि क दगाड द्वि प्यक मारला तो सिद्द कैलाश पुजि जाला..

मैलि कौय- बकबास नै कर रे .. मी बामण आदिम .. शराब हराब नै पीन्यूं .. तेर जस दलिद्दर ज कि छ्यूं .. रोज नाणि ध्वैणि पुजपाठी बामण भयूं।  खडकू दंतपाटि देखैबेर मेकें गिजूणी वालि जस हंसण लाग।  मैल कौय- यार खडकू तसकि शराब नै पीयी कर रे।   किडनी लीबर खराब हैजां।  आपुणै डबल खरच करिबेर पगलींण के भल बात ज के भै.. देख धें कदुक नुकसान छन यो शराबाक।  लोगनैकि घर कुडी उजडि गे यैल.. शास्त्र न में ले यकें राक्षसी चीज बतै राखौ।

खडकू कूण लाग- म्यार मुखलै तौ शास्त्र हास्त्र कि बात नै करो या पणज्यू .. मी मोट दिमागक आदिम भयूं .. 
मैलि कौय - चल जस तेरि मरजी .. और सुणा .. कि छ धिनाई पाणि!  
खडकू - के नै हो भैस बाखड छ.. चाहा पाणि तें हैजां.. ठीक छ गुरू मी हिटू ऐल।  बजार बटी सौद पत्त लूं.. फिर ब्यावकि तैयारी ले करण छ।  तुमार चक्कर में खालि टैम बरबाद हुणौ। अच्छा .. मैलि कौय- यार अल्लै तू क्याप कूण लागि रौ छिये .. 
खडकू - अरे होय .. उ काथ करै देला कूण लागि रौ छियूं .. 
मैलि कौय - ना ना ... 
खडकू कूण लाग- पैं और कि कौ मैलि .. भूलि गेयूं .. 
मैलि खडकू कें याद दिले.. नै यार उ.... ब्याल बखत.... गल भिजूण... झल्ल.. वाल..

खडकुवाक मूख में शैतानी मुस्कान ऐ गे.. कूण लाग.. 
ना हो गुरू ... तुमन कें को पिवाल.. पैल साल होलिन में.. तुम रामलाल क यां चारै पैग में घुघुत जस फरकि गेछिया बल.. रात भर वीक गोठमाव में उखाई भरीण छा बल.. ना तो तुमन कें नै पचन बल.. मी तो खालि मजाक करनौछ्यूं.. 

मेके खिसैन जस पडि गे.. फिर ले मैलि कौय- नै यार.. उदिन जरा बाकि हैगेछी.. मी तो खालि द्वि पैक पीनेर भयूं।बिलकुल हिसाबलि.. हैगोय घर ऐबेर सीद बिस्तर में पडि ग .. तू फिकर नि कर.. के नि हुन।  खडकू कूण लाग.. चलो ठीक छ पें.. पुजि जाया ब्याल बखत.. लेकिन द्वि पैक है बाकि नि द्यू... नतर तुम रात में बामणि कें मैक्यून मैक्यूनै घर पुजला.. बामणि ज्यू भोल मैंसन में मेर जै बदनाम कराल.. खडकुवैलि मेर बैग बिगाडि है कौल.. 
मैलि कौय - नै यार.. खालि थट्टी फस्टा शकून भाय.. मेर तो कैकैणी अन्ताज ले नै उन.. 
खडकू - ठीक छ पैं..

मैलि कौय- यार उ शिकार हिकार मी नै खान्यू.. मेर लिजी के नमकीन हमकीन लि आये यार.. 
खडकू कूण लाग- अरे तुमार लिजी पकौडि बणै दयूल पैं।  मैलि कौय- नै यार .. तसके मी वार पार नै खान्यू.. चोख खानेर भयूं.. तू पकौडी नाक बबाल कां लागले.. खालि नमकीनैलि है जां.. 
खडकू - ... ठीक छ गुरू है जाल.. 
मैलि कौय - मिलनू पैं हां ब्याल बखत.. 
मैं वापस घर और खडकसिंग बजार उज्याण बाट लागि गे.. 

विनोद पन्त' खन्तोली ' (हरिद्वार), 31-12-2020
M-9411371839
विनोद पंत 'खन्तोली' जी के  फ़ेसबुक वॉल से साभार
फोटो सोर्स: गूगल 

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