
शकुनाखर (ब्योलि कैं सुहाग पैरुंण बखतक् गीत)
तारा पाठक (आमा कोचिंग सैंटर)
कहाँ उपजन लागे सुहाग बिडु़ला,
कहाँ बरसन लागे सुहाग बिडु़ला।
जनकपुर उपजन लागे सुहाग बिडु़ला,
अयोध्या बरसन लागे सुहाग बिडु़ला।
(ब्योली मैतक् नाम) उपजन लागे सुहाग बिडु़ला,
(सरासक् नाम)बरसन लागे सुहाग बिडु़ला।
मेरे दादा जी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे ताऊ जी के बाग में सुहाग बिडु़ला।
मेरी दादी रानी सींचै,मेरी ताई रानी सींचै भर गडु़वा।
मेरे बाबा जी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे चाचा जी के बाग में सुहाग बिडु़ला।
मेरी मइया रानी सींचै,मेरी चाची रानी सींचै भर गडु़वा।
भर गडु़वा ,ए भरावन गडु़वा,ए नवल गडु़वा।
मेरे भय्या जी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे बीरा जी के बाग में सुहाग बिडु़ला।
मेरी भाभीरानी सींचै, मेरी बहुवा रानी सींचै भर गडु़वा।
मेरे नाना जी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे मामा जी के बाग में सुहाग बिडुंला।
मेरी नानी रानी सींचै, मेरी मामी रानी सींचै भर गडु़वा।
भर गडु़वा ,ए भरावन गडु़वा,ए नवल गडु़वा।
मेरे जीजाजी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे फूफाजी के बाग में सुहाग बिडु़ला,
मेरे मौसा जी के बाग में सुहाग बिडु़ला।
मेरी बहना रानी सींचै ,मेरी बुवा रानी सींचै,
मेरी मौसी रानी सींचै भर गडु़वा।
भर गडु़वा ,ए भरावन गडु़वा,ए नवल गडु़वा।
फोटो सोर्स गूगल

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