ऐल बम (एलबम)

कुमाऊँनी कविता-ऐल बम! (एलबम) poem in kumaoni language about wedding album, Kumaoni bhasha mein kavita

ऐल बम! (एलबम)

रचनाकार: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

शुरु शुरू में भली भलि लागछीं!
अब बुकांँ हैं जैं य एलबम!
तब सुन्दर संस्कारी !
ब्योलि चहै ल्याय मैं!
अब उ लै कैं दीं!
मैं लै नहैं कहैं बै कम!
बनै दीं हर इतवार हैं!
मेरी सलाईक डबाँ की रेल!
कभैं महबै लुकुड़ धुवैं!
कभैं जुठ भान घुडम् दी पेल!
बड़ी मुश्किलैल काटियूँ!
छुट्टीक य इतवार!
रात्तिबै व्याखुलि तक!
निकालि दीं उ म्यर तेल!
जरा लै मैल घरौक काम!
भ्औल नि करो जब तै!
उ रिषै बै हैं जैं फम!
तब गुस्सैल! रग्ग! 
चहैं उ म्यार मुखाड़ हणिं!
पै कैं! फोड़ू के ऐल बम!

"त्रिचम उदगार" ( १०:४० पुर्वा. ५ अगस्त २०१८)
फोटो: गूगल

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