यात्रा कुमाऊँ की - कुमाऊँनी कविता

कुमाऊँनी कविता-कुमाऊँ की यात्रा, Poem in kumaoni languages, Travelling in Kumaon, Kumaoni bhasha mein kavita

कुमाऊँ की यात्रा

रचनाकार: जोगा सिंह कैड़ा

चखुटिया   गिवाड़  गयूं
मैं तो रोजै    पहाडे  रयूं
तुम जाया  सड़का बाटा  
मैं  त   धारों     धार गयूं 
दुनगिरि   बिनसर देखण
मैं त  कतू   बार      गयूं
चार दिन मैं     मुनस्यारी
चार दिन   नैनीताल   रयूं।

जागेश्वर           बागेश्वर
बैजनाथ    पिनाथ   गयूँ 
एक दिन  रानीखेत   रयूं
ओ इजु मै आब पटैे गयूँ।

 सोरे की   गुरना     देवी 
 गंगोलि      की    काली 
 दुनागिरी  की    भगवती
 पहाड़े की       रखवाली।

 कोट में कोटे की   मायी
 चम्पावत में देखि  बराही
 नैनितालै  की   नैना देवी
 नंदा और सुनंदा   मायी।

पांचों चोटी पनचूली  का
बर्फानी  त्रिशूल   चै  रयूं
काली गोरी धौली   देखि
फिर मी रामेश्वर   ऐ  ग्यूं।

 पहाड़े की   माया  देखि
 ओ इजु मैं चाहिये रै गयूँ 
ओ इजु मै आब पटैे गयूँ।
ओ इजु मैं आब पटै गयूं।
जोगा सिंह कैड़ा, 02-08-2020

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