
खाल्ली फसक.....पीडी
(धौलछीना बटि हल्द्वाणि)
लेखक - ज्ञान पंत
धौलछीना में सबनलै ठोकि बेरि दाल, भात, र'वा्ट भचकैईं और गाड़ि हिटी त आदु है ज्यादे ढिन्की ग्या। डायरेक्ट सवारी मिलि त कंडक्टरैलि, बा्टपनै एक ले नि ल्हे। लोग बाग कूँणें में भ्या कि एक भौत जरुरी काम छ त्याड़ि ज्यू ..... टिकस आफी बजी रुँ, भीं मैईं बैठ जून मगर आज त त्याड़ि ज्यूनैलि हद्द हाँणिं दे। यो रोज्जाकै हुन्याल तबै कूँण लागि रौछी " किलै टेड़ि रौ त्याड़ि ? और दिनांन त च्याट्ट ल्हिजै दिंछी ..... आज त जांणि कसम खै राखी । के बजर पड़ौ तै ख्वार , होय ..... " गरमा-गरमी जै चितैयी त धनराम ड्राईवर ' लि खिड़की बटि मुनि निकायि बेरि "भैन जी" कैं बुलाछ और समझा कि भुली , अघिल चेकिंग लागि रै । मणीं ले गड़बड़ मिली या ओवरलोडिंग होली त नौकरी जाली - नि जाली .... आदु म्हैंणें तनखा फाइन में न्है जालि । मेल गाड़ि कैं बीच में रोकणों या नानि सवारी बिठूँणों आडर न्हाँ ..... आ्ब खाल्ली कज्जी करि बेरि के फैद ? भोल बटी देखनी रौलि ..... तुम लोग आज टैक्सी या गणांई वालि में न्है जाऔ , पछिलै लागी छ उ ले ...... तब जै बेरि मामुल शांत भौछ।
पदिय 'कि नींन त पुर है गेछी। उ छा्ज है भ्यार चांणैं में भै ...... यो गाड़ , गध्यार , रौड़ सब छुटि जा्ल ! हल्द्वाणि पुजण तक बांज , बुरांश , चीड़ और काफल ले सब हरै जनेर छन । तराई भाबर में कां हुनेर भै ..... वां त खेति पाति जोरदार भै और जां के नि भै त रनकारनैलि पापुलर और यूकेलिपटस खोसि भ्या । जल्दी बढनीं त फैदमंद हुँनी मगर पाँणि सोखि ल्हींनी । अंग्रेज रांणा हमैरि तरफ चीड़ रोपि गियीं ! यो आजि ले धरती खून पींण लागि रौ , बांज 'क जंगल यै ले चट करीं ...... जोरकि ब्रेक लागी त पदिया 'क बरमान में ठन्न जै भै । उकैं लागौ चोरि पकड़ि गे ...... उकैं खालि सोच पड़ि भ्या ! बीच सड़क में टैक्सी वा्ल कच्ची गायि ठोकण लागी भै । चार पांचेक मैंस गाड़ि बै उतरीं और गव च्याप बेरि चार था्प टैक्सी वा्ल कैं लगैयीं त उ मणीं चौड़ भौ । तब पदिय 'लि समझै बुझै बेरि ड्राइवर कैं बस भितेर करौ और टैक्सी वा्ल कैं अघिल कै भजा कि शाला गलती करछै और ...... ? अल्लै त्वीलि मारि हांछ्याँ ....... आपण होश में छै या न्हाँत्ये ?
आपण हिसाबले गाड़ि ठीक चलण लागि रैछी। जनन गाड़ि लाग्छी, उँ मुनि टोप लगैयी भ्या मगर बीच - बीच में छा्ज है भ्यार "वाक्क - वाक्क " सुँणीनेर भयी । यै वीलि जनन गाड़ि नि ले लागछी , उनन ले ख्वारमुनाँ हुण बै गे । पद्दी यो मामुल में ठीक छी कि उकैं मोटर नि लागनेर भै ...... पहाड़ ऊँण जा्ंण में यो ले एक मुसीबत समझौ । सड़क बटी डाना गोल्ल ज्यू मंदिरौ गेट देखौ त सबनले हा्थ जोड़ पैं । अलमोड़ा मैग्नेसाइट फैक्ट्री ले पड़ी ..... भल लागौ कि वां काम चलि रौछी । ठ्याल 'नै लैन लागी भै । बाड़ीछीना बाद चितई मन्दिर पड़ौ त वां ले सबनले हाथ जोड़ि ...... जय हो गोल्ल ज्यू किरपा करिया।
अल्माड़ ऊँण तक लोग बाग सोचणें में छी कि भल हुन अगर गाड़ि शहर बै जानि त मगर उ भ्यार भ्यारै धारानौला पुजी। लोदिया बटी लोगनैलि बाल, चाकलेट खरीदीं, कैले देशि मिट्ठै ले ल्हे। द्वि एक चहा दुकान हुँ लागा त ड्राइबरैलि कौ कि जागौ, ततु धो था्ंण किलै हरै? खैरना में गट् मट् चहा पिया ...... त सबै है गाड़ि में बैठि ग्या । याँ बटी तलिकैई जा्ण भै त गाड़ी भ्वां-भ्वां ले कम है जैं । सब ठीक ठाक चलि रैछी, ड्राइवर ले मगन भै मगर पत्त नै कि भौ कि बीच बा्ट में गाड़ि अचानक बंद है गे। भौत कोशिश बाद जब स्टार्ट नि भै त एक जानकर जस पेसेंजरैलि गेयर तलि-मलि रिंगै बेरि स्टार्ट करि देछ।
खुटैलि ब्रेक च्यापि बेरि ड्राइवर ले सीट में बैठौ त उकैं अंताज लागि गोछी कि गाड़ि गरम है गे कै। फिर वीलि क्वारब में रोकि बेरि पैसेंजरन थैं कौछ कि चहा पांणि जे करण छ, ययीं करि ल्हियौ। यै बाद आ्ब हल्द्वाणि मैयी रुकैलि हाँ ........ क्वारब भौतै भलि जा्ग छ। कुदरत ' लि यां खूब श्रंगार करि राखौ । दाड़िम , अनार , पुलम , अलबखर , हिसालु , किंमनड़ ..... दूरै बटी आऔ - आऔ कूँनीं । मलिकै चाऔ त लागौं शालु बोटनै परेड है रै । सीमा लै सिपाई जाँस कब्बै बटी यसी को ठड़ी रयी छन । जब कभै ले जाला ..... तुमैरि आवाभगत में ठड़ियै मिला्ल । तलि गाड़ में ज्यादे पांणि नि छी मगर चौमास ' कि सोचण में डर लागनेर भै । सूर्ज ले आपण घर जांणें तैयारी में उज्याव एकबट्यूँण लागि ग्योछी ।
पा्ल तरफ घाम न्है गोछी मगर क्वारब में आजि ले आदु पहाड़ घाम तापणें में भै। लोग - बाग चहा - पकौड़ि में टुटी ग्या त पद्दी इखौर कै न्है ग्यो ...... वी नजर स्वेंता बकारन् (चीड़ का फल) में पड़ी त उ लमालम जानै रै। जा्ंण बखत ड्राइवर छै कै ग्यो कि दाज्यू अल्लै ऐ पुँजु हाँ । धनराम ' लि सोचि कि शैद इनन् जोरकि लागि रै त वील ले होय होय गुरजी कै बेरि मुनि हल्कै देछ । मलि बटी चार पांचेक ठिटा्र एकबट्यूँण में दस - बार मिनट लागीं । घर में ,ले वीलि धरि राखछी मगर जा्ंण बखत भुलि गोछी । धौलछिन में कैं देखां नि भै ...... क्वारब में गाड़ि रुकि पड़ी त उकैं फाम ऐ कि टंडना चेलिल लायै कै राखछी! यां ले भुलि जा्न त फिर के हाल नि छी ..... के बतूँन नान्तिनन कैं? खैर , आ्ब उ कै द्योल कि आपण घर बटी लै रयूँ। पहाड़न में को पुछों स्वेंता-ठ्याटन कैं? शहरन में त घर 'कि शान भै शान । बैठक में बिराजमान भै " स्वेंता ठ्याट " महाराज।
हल्द्वाणि पुजि बेरि वीलि हिसाब लगा कि एक किलो टंडन सैपनां वां, एक किलो दफ्तर वालन तैं, आदु गुन्दिका तैं और ...... यो सब मिलै बेरि करीब तीन किलो है ज्यादे है गेछी। स्टैन्डर्ड स्वीट बटी ल्हिंण में द्वि हजार है ज्यादे लागन, यै वीलि एक किलो त वीलि यां बटी ल्हे और करीब द्वि किलो बाल मिट्ठै कालीढूँगी रोड में सती दुकान बै ल्हे ..... यां दाम' न में जमीन - अगाशौ फर्क छ मिट्ठै ल्ही बेरि जा्ंण बैठो त उकैं शैली फाम है पड़ी किलैकि घर ऊँण बखत वीलि ले कौछी "पहाड़ की मिठाई जिसमें व्हाइट-व्हाइट दाने लिपटे रहते हैं , जरुर लेकर आना " ..... यो उयी शैली ढवा्ल छी जैलि दफ्तर में पदमादत्त थैं " हैलो पीडी " कौ और उदिन बटी पद्मादत्त पंज्यू सबनां पीडी है गेछी। यतुकै नै "हैप्पी बर्थ डे" दिन टंडनां कई पर केक-हेक ले कटूँणीं योई मर्रि रैछी।
ज्ञान पंत, 05-05-2020

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