
🍕म्यर बार में🍕
रचनाकार: सुरेंद्र रावत
ना मैं हरु हीत भागी, ना मैं मालु शायी।
मकोट में रहनों दाज्यु, बाप घर जवायीं।।
ईजा मेरी जैन्ती देबी, देबी जसी हयी।
मैतावा गौं मजी वी लै, उमर बितयी।।
सुरेशा लै नौं छु म्यर,छवट भै नरेशा।
द्वी भैनों की जोड़ी यसी, रामलखन जैसा।।
मासी छु शहर म्यर, गौं क नौं मट्याव।
य गौं तुमर देखी छ तो, मकणीं बताओ।।
एकलै छु कुड़ि मेरी, कुड़ि मूणं क्यर।
क्यरों काख पन दाज्यु, सारै गौं क स्यर।।

ॐसूरदा पहाड़ी, 14-10-2019

सुरेंद्र रावत, "सुरदा पहाड़ी"
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