इजा !

कुमाऊँनी कविता, इजा-करि दे मकैं निडर, निझरक-बेफिकर, बेखबर है बेर - Kumauni Kavita Ija or Mother is custodian of her child

इजा !

रचनाकार: नवीन जोशी नवेंदु


इजा!
झिट घणिक तैं
ए घणि कै तैं सईं
म्या्र सामुणि, माँथि-मुणि
अघिल-पछिल
हर तरफ बै
मकैं च्यापी-घ्येरी
अन्यारा्क गाज कैं
अत्याचारा्क राज कैं
जुलम-जबरदस्ती
अर डर कैं भजै
सुफल कर म्या्र काज कैं।

इजा!
झिट घणिक तैं
करि दे मकैं निडर
निझरक-बेफिकर
बेखबर है बेर
मिं द्यखंण चांणयूं
स्वींण,
उघड़ी आंखौंक स्वींण!
अगाश में उड़णीं स्वींण
बेअधार स्वींण
पर निश्चित स्वींण
जनूं पारि
बेफिकर ह्नै
मिं दि सकनूं टेक
चिंणि सकनूं मजबूत भिड़
लगै बेर ठघार
पुजि सकनूं लगिलौ न्यात
जरूड़ै-स्वींणौं पारि।
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राष्ट्रीय सहारा कार्यालय, पॉपुलर कंपाउंड, मल्लीताल, नैनीताल। 
पिनः 263002।   उत्तराखंड।

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