
कुमाउनी इंटरव्यू: श्री जुगल किशोर पेटशाली ज्यू
हमार कुमाउनी रचनाकार【25】
मित्रो, जसकि मैं आपूं सब लोगना सामणि हमार कुमाउनी रचनाकारों'क समय-समय पर परिचय ल्यूंण लाग रयूं और आपूंकें म्यर यौ परिचय करूंण भल लै लागना। यो बात म्यर उत्साह वर्धन करण में लाग रै। तो मैं यै क्रम में आज ल्हीबेर ऐ रयूँ संक्षिप्त साक्षात्कार हमार कुमाउनी लोकभाषा'क एक सशक्त हस्ताक्षर श्री जुगल किशोर पेटशाली ज्यूक। इनर जन्म 7 सितंबर सन 1946 हूँ इजा श्रीमती लक्ष्मी पेटशाली व बौज्यू श्री हरिदत्त पेटशाली ज्यू वाँ ग्राम व पोस्ट चितई, जिल्ल अल्माड़ में हौ। यौ नानछिना बटी घुमक्कड़ी स्वभावा'क रयी। इननकें नई-नई जाग देखण और घुमण भल लागछी। एक रचनाकार कें घुमक्कड़ी हुण चैं ताकि उ नई-नई जाग देखि सकौ और वीक बा्र में लिखिबेर सबन कें बतै सकौ। अच्छा यौ पुर उत्तराखंड बटी यकलै यास रचनाकार छन् जननकें "जयशंकर प्रसाद पुरस्कार" मिली हुई छ। इनून दूरदर्शना सहयोगल राजुला मालुसाई नाटक लिखौ और जैक प्रसारण दूरदर्शन बटी कतू बेरा हैगो। जैक पैल प्रसारण 1993 में भौछ। इननकें पुराण किस्स, आ्ण-का्थ, कहानि, लोकगाथा, शकुनाखर, छोलिया नाच इनार दगाड़-दगाड़ै और लै कई चीजनै'कि भलि जानकारी छ। हम कै सकनु कि यौ लोक साहित्या'क भौत गैल जानकर छन।
आओ आ्ब बकाय जाणनू इनन दगै हैई सवाल जवाबों'क मध्यमल...
सवाल01◆ महोदय आपुणि रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● मेरि रचना धर्मिंता नानछिना 1961-62 में पैली हिंदी में शुरू भै। उबाद सन 1967 बटी मैंन कुमाउनी में लै लिखण शुरू करौ। उभत करै पहाड़ में शराब बंदी आंदोलन चलि रौछी। गढवाल बटी कवि घनश्याम रतूड़ी सैलानी ज्यू लै आरौछी। जनून गढवाली कविता सुणाई शराब बंदी पर तो मैंधैं गोवर्धन त्याड़ी ज्यूल कौ जुगल तुम भी लिखते कुछ कुमाउनी में शराब बंदी पर। फिर मैंन लै पैल कुमाउनी कविता लिखै शराबा विरोध में। वैं बटी शुरू भौ कुमाउनी लिखणक सिलसिला।
सवाल02◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● ढैला ज्यू घुमक्कड़ी छूँ मैं। नई-नई जाग, तीर्थ स्थान देखण और घुमण भल लागौं मैंकें।
सवाल03◆ अच्छा उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● स्वामी रामानंद (जो म्यार गुरु रयी), डॉ.हरिगोविंद चातक और श्री हरिदत्त पेटशाली (म्यार बौज्यू)।
सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● स्व. हीराबल्लभ पांडे, संस्कृत भाषा'क प्रकाण्ड विद्वान (जो हमार कुल पुरोहित छी)।
सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी और हिंदी'कि को-को विधाओं में आपणि कलम चलै राखै? आपणि लिखणेकि मनपसंद विधा के छ?
जवाब● काव्य, फुटकर कविता, नाटक, नृत्य नाटिका, लोकगाथा लेखन, संस्कृत बटी अनुवाद आदि।
मेरि मनपसंद विधा काव्य लेखन छ।
सवाल06◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी में प्रकाशित किताबों नाम कि -कि छ?
जवाब● (१) राजुला मालूसाई (हिंदी काव्य), (२) जय बाला गोरिया (भगवान ग्वलज्यू पर कुमाउनी काव्य, जो कुमाऊँ विश्वविद्यालय में पढाई जैं)।
(३) पिंगला भृतहरि (हिंदी काव्य), (४) हिंदी लोकगाथाएं (हिंदी शोध पुस्तक), (५) उत्तरांचल के लोकवाद्य (शोध पुस्तक), (६) कुमाउनी लोकगीत (शोध पुस्तक), (७) कुमाऊँ के संस्कार गीत (शोध पुस्तक, सह लेखिका सुश्री लता कुंजवाल के साथ), (८) बखत (कुमाउनी कविता संग्रह), (९) राजुला मालूसाई (हिंदी धारावाहिक,जो दूरदर्शन बटी कयी बार प्रसारित हैगो), (१०) गोलू देवता की अमरगाथा (कुमाउनी नृत्य नाटिका)।
सवाल07◆ आपूं हम सबना प्रेरणा स्रोत छा आपुण सम्मान हम सबनौ सम्मान छ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी? सरकारै तरफ बै क्वे सहयोग लै प्राप्त भौ कभै?
जवाब● सरकारै तरबै सम्मान'न में, (१) जय शंकर प्रसाद सम्मान (हिंदी अकादमी उ०प्र०),
(२) सुमित्रा नंदन पंत अनुसंसा सम्मान (हिंदी अकादमी उ०प्र०),
(३) लोक साहित्यकार एवं संग्रहकर्ता सम्मान (उत्तराखंड सरकार)।
(४) 'शेरदा अनपढ कुमाउनी कविता पुरस्कार' कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति प्रसार समिति अल्माड़ द्वारा।
सवाल08◆ अन्य उपलब्धीन पर बात करनु त के-के और ह्वाल? जसी आकाशवाणी, दूरदर्शन, चलचित्र, म्यूजियम आदि के-के काम करी संक्षेप में बताला?
जवाब● १) दूरदर्शना सहयोगल राजुला मालूसाई धारावाहिक बणा सन 1993 में।
२) गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना मंत्रालय भारत सरकारा लिजी "युग पुरूष गाँधी" लिखौ। समय अवधी ढाई घंट। जैक उद्घाटन 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी.वी नरसिम्हा राव ज्यूल करौ, यौ कार्यक्रम महात्मा गाँधी ज्यूकि 125 वीं जयंती पर 2 अक्टूबर 19 95 में सबसे पैली पोरबंदर में भौ, जमें शेरदा अनपढ़ महात्मा गांधी बणी। जैक लगभग सारै देश में प्रदर्शन भौ। यौ लाईट एंड साउंड कार्यक्रम छी।
३) सन 1996 में देशकि लोकभाषाओं नाटक प्रतियोगिता दिल्ली कमानी हौल में भैछ। जमें म्यर नाटक "धरती सरग बड़ली" पैल स्थान पर आ। उकें लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार ज्यूल पुरूस्कृत करौ।
४) जब श्री अनुपम खेर भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ में चेयरमैन बणिबेर आई उनौर स्वागत में म्यौरै नाटक 'नौलखा दीवान' भौछ। जकें उनून भौत पसंद करौ।
और संक्षेप में● आकाशवाणी रामपुरा लिजी 14 एपिसोड राजुला मालूसाई नाटक लिखौ।
★आकाशवाणी, संस्कृति विभाग उत्तराखंड, गीत एवं नाटक प्रभाग भारत सरकार, सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखंड, यौ विभागों लिजी कलाकारों'क इंटरव्यू में कयी बार जज रयूँ।
सवाल09◆ सहित्य के छ आपुण शब्दों में बताओ?
जवाब● साहित्य मनैकि भाषा और समाज'क दर्पण छू।
सवाल10◆ नई पीढी'क रचनाकारों हूं कि कूंण चाला?
जवाब● नई पीढी हूँ कूंण चां खूब अध्ययन करौ। भल लिखौ और खूब तरक्की करो।
सवाल11◆ आपूं टीवी में के देखण भल मानछा?
जवाब● टीवी में पैली केवल समाचार सुणैछी। लेकिन लौकडाउन में रामायण और महाभारत देखी तो आब धार्मिक सीरियल खूब देखूँ।
सवाल12◆ आपण जिंदगीक सबन हैं ठुल एक खुशीक मौक बताओ?
जवाब● मेरि जिंदगी में सबूं हैबेर जादे खुशी मैंकें उदिन भै जब सोल सालैकि उमर में मेरि कविता आकाशवाणी दिल्ली बै ऐछ। दिल्ली आकाशवाणी वा्ल म्यार घरै ऐबेर उकें रिकॉर्ड करि ल्ही गई। यौ कविता 1962 में मैंन चीना खिलाफ लेखी छी।
1964-65 में मेरि डिबेट स्पीकिंग में उ०प्र० में तिसरी स्थान निकली। छात्र जीवन में, मैं "बटालियन अंडर ऑफिसर" रयूँ। उ०प्र० में बेस्ट कैडेट लै रयूँ।
सवाल13◆ महोदय आपूंल कुछ (संग्रहालय) म्यूजियम लै बणैं राखौ चितई में शायद। वाँ के-के संग्रहित करि राखौ संक्षिप्त में बताओ धैं?
जवाब● उ पहाड़क सबन हैं ठुल म्यूजियम छ। मेरि जिंदगी'कि पुर साधना छ उ। हमार उत्तराखंडाक् 35 लोकवाद्य, हमार पुराण भा्न (बर्तन) ता्म, पिताव, कांसा'क। कतू सरकारि दस्तावेज लै छन जमें अंग्रेजों जमाना'क लै कुछ दस्तावेज छन, संस्कृत'क ज्ञान संगीता दुर्लभ किताब लै छ, ईस्ट इंडिया कंपनी सिक्क छन, मुगलकालीन सिक्क छन, अंग्रेजों बणाई मैलेट्री दूरबीन छ जो 1902 में बणी हुई छ, और लै भौत चीज छन जो आब कांई न देखींन।
सवाल14◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● के भल करो जो समाजाक हित में काम आओ।
सवाल15◆ आपुण जिंदगीक एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● एक दिनै बात छ मैं "एक स्वैण देखनयी"। जमें, मैं जयशंकर प्रसाद जीकि कामायनी कें देखनू और उकें मैं पढन लागि रयूँ। दूसार दिन लखनौव बै फोन ऐगे कूंछा कि तूकें "जयशंकर प्रसाद पुरस्कार" मिलिगो। मैं सौभाग्यशाली छूं कि मैं सार उत्तराखंड में यकलै आदिम छूं जकें 'जयशंकर प्रसाद पुरस्कार' मिली हुई छ। जो कि सन् 1992 में मिलौ।
सवाल16◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वाली क्वे रचना?
जवाब● लौकडाउन में धारावाहिक 'रामायण' और 'महाभारत' देखी। उनून यतू प्रभावित रयूँ कि मैंन लै हिंदी काब्य में रामायण पर 60-70 पेज आपण मनल लिखी हाली अघिलाँ हूं जतू भगवानै कृपा होलि आई लिखुंल। और महाभारत में गीताक दसूँ अध्याय विभूति योग'क हिंदी कविता में अनुवाद करिहा। एक किताब लिखि राखै प्रकाशनार्थ 'जी रया जागि रया' पहाड़ा जन जीवन पर केंद्रित।
सवाल17◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो त भौत भल हुंछी?
जवाब● अगर म्यूजियम'कि रख रखावैकि सही व्यवस्था है जैंछी त भौत भल हुंछी। किलैकि आ्ब अवस्था लै भौत हैगे। अगर वीक सुरक्षाक कुछ बंदोबस्त है जानौ त उ हमार ऊणीं वालि पीढी'क काम ऊंन। किलै कि उस म्यूजियम यतिपन और कैं न्हाँतीन पुर उत्तराखंड में।
सवाल18◆ आपण पुर उत्तराखंडी समाज हूँ के संदेश छ?
जवाब● खूब तरक्की करो। युवा लोगन् धैं कूंण चाँ खूब मेहनत करो। खूब पढो। भल सोचो, भल लिखो और अघिल बढो। समाज कें लै आपुण दगाड़ खींचिबेर अघिल ल्हि जाओ।
सवाल19◆ अछा महोदय क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● बांकी के कूँ! भगवानै कृपाल सब ठीक हैरौ। आपूं भल काम करनौछा। खूब भल लेखिया। जी रया-जागि रया।
भौत-भौत धन्यवाद महोदय आपूं दगै बात करिबेर भौत भल लागौ। प्रणाम सादर।
प्रस्तुति~राजेंद्र ढैला काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि राजेंद्र ढैला जी के बारे में जानने के लिए
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