
जिम कार्बेट पार्काक् शेर......
रचनाकार: ज्ञान पंत
याँ
ग्यूँ चुटै हैरै और
..... वाँ ?
पोरूँ जाँणैं
ग्यूनैं बालड़ि
ठा्ठ करण लागि रैछी
सूर्ज कैं
गिजूँण लागि रैछी ....
आज
उताँण् हैं रयीं
भीं में ......
ग्यूँन 'क पहाड़
ठाड़् है ग्यो
भोल
कुथव भरी जा्ल
पिठ में बोकि बेरि
घर लैयी जा्ल
और भकार
डम्म है जा्ल
नौव जा्स .....
आम'क घर में
धान्न 'क ले
भकार छन् ...
गगरि में लुकैयी
भट् छन्
चार माँण्
गौहत धरि छन्
भराँण बीच
एक पुन्तुरि में
भाँग् ले धरी छ ...
के पत्त
क्वे मिलि जावौ
लखनौ जाँणीं ......
शिबौ-शिब !
पहाड़ कि आ्म और
इज हौर
आजि ले
यसी कै सोचनीं
जबकि
वाँ ले आ्ब
ग्यूँ चुटै और
धान मनै
सब " मसीन "
करण् भै गियीं।
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एक बात छ
पहाड़ में
"पहाड़" सोचण्
मुश्किल छ।
लखनौ बैठि बेरि
भल् लागों , मगर
पहाड़ 'क "पहाड़ा"
ततु सितुल नि भै। .....
होटल बटी
गौं
ज्यादे
भल् देखीनीं।
पहाड़ छाड़ि बेरै
हम
पहाड़ 'कि चिन्ता करनूँ ....
यो बात
आ्ब जै बेरि
म्यार समझ ऐ।
मनखी हारि ग्यो त
पहाड़
"थामण्" हुँ
मशीन लगै राखीं।
आज
मैलि
ढुँङ
पाथर और
शालु 'क बोटन् थै ले
बात करी .....
सबा - सब रिस्सैयी छी
..... उनले बताछ
ऐला फ्यार
चौमासन् में
पहाड़ ले
"बदौल्" तारनेर छ।
शब्दार्थ:
बिजुलि --- बिजली
जैङिणी -- जुगनूँ
ल्वे --- खून
टटम् -- बातें
दगाड़् --- साथ
भागी -- प्रिये
ततु सितुल -- उतना सरल
हारि -- हार
थामण् -- कोप से बचने के लिए
मसीन -- jcb , Crain etc.
रिस्सैयी -- नाराज
April 2017

...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार
ज्ञान पंत जी के फ़ेसबुक प्रोफ़ाईल पर जा सकते हैं
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