बैरी-भगनौली, कुमाउनी इंटरव्यू: श्री केशर सिंह डंग्सेरा बिष्ट ज्यू

कुमाऊँनी भाषा में साक्षात्कार-वरिष्ठ कवि-सहित्यकार श्री केशर सिंह डंग्सेरा बिष्ट ज्यू Kumauni Language Interview with Litterateur Keshar Singh Dangser

कुमाउनी इंटरव्यू: श्री केशर सिंह डंग्सेरा बिष्ट ज्यू

हमार कुमाउनी रचनाकार [21]

मित्रो, एक सीरीज जसि शुरू करि राखै। जमें एक संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ। मैं आपूं सब लोगन कें हमार कुमाउनी रचनाकारों'क जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा विकास में आपण महत्वपूर्ण योगदान दिण लाग रयी।

★पहाड़ी जीवन दगड़ि घर गृहस्थी'क तमाम काम करणा'क साथै साहित्य सृजन करण एक भौत ठुलि समाज सेवा छ। यासै परिवेशाक् छन हमार आजा'क रचनाकार श्री केशर सिंह डंग्सेरा बिष्ट ज्यू। जनर जनम ग्राम-तकुल्टी, पोस्ट औफिस-सुरे (द्वाराहाट),जनपद-अल्माड़ में एक किसान परिवार में ईजा-पार्वती देवी व बौज्यू-श्री जमन सिंह डंग्सेरा बिष्ट ज्यू (पी डब्ल्यू डी दिल्ली बटी रिटैर भयी) घर 7 जुलाई सन 1955 हूँ भौ। इनून प्राथमिक शिक्षा तकुल्टी बटी ल्हिणा बाद हाईस्कूलैकि पढाई सुरई खेत बटी करै और 12 वीं पास प्राइवेट तौर पर सन 1972 में करौ। इनून 32 साल तक आपण गौंक नजीक दुकान करिबेर आपण घर परिवार'क भरण पोषण करौ और सामाजिक कामों में लै बढि चढिबेर भाग ल्हे। आब रोड ऊना कारण दुकान न चलि तो बंद करि है आब् घरपन साग सब्जी उगोंण और सामाजिक कामों में आपण हाथ बटूंनी। इनार आठ चेली छन सातों ब्या हैगो और अठूँ चेली पढाई करण में लाग रै। यौ आपण घर में आपणि घरवाई श्रीमती कान्ती देवी व चेली दगाड़ रूनी वैं बटी साहित्य सेवा में लै जुटी छन।
प्रस्तुत छन इनन् दगड़ी हैई बात चीताक कुछ अंश...

सवाल01◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● मैं बचपन में म्याल, ख्याल, कौतिकों बटी मालूसाई, हरुहित आदि किताब खरिदबेर पढी करछी। पैली खूब किताब पढी। फिर लगभग सन 2000 बटी मन में भाव आई कि किलै न यौ भाव'न कें किताब में उकेरी जाओ वैं बटी फिर लिखण शुरू करौ। प्रेरणा त मन दिनेर भै। जस मन में भाव ऐ उस करण चाँ मनखी।

सवाल02◆ महोदय आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● म्यार शौक तो पैली खेलकूद में बॉलीबॉल छी। आब उमर हैगै त साहित्य में पढन-लिखण, संगीत और गायन छन।

सवाल03◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● हमार गौं में एक पान सिंह पधान ज्यू छी। जनर एक घट लै छी। उ कभैं हौव, दन्याव सजण, कभतै नस्यूड़ बणूंन, कभै घटा पाट सजण, कभै घटौ फितौड़ आदि बणूंन। कुल मिलैबेर उननकें कभै खालि बैठी न देख। उ के न के काम करते रौंछी हमेशा। तब म्यार मन में यौ भावना ऐ कि हमन कें कभै लै समय कें बरबाद न करण चैंन, जीवन में कभै खालि न बैठी रूंण चैंन के न के करते रूंण चैं। आपूं यकें प्रेरणा ल्हिण लै कै सकछा।
बकाय जिंदगी में जतू लै लोग मिलनी के न के सिखण हूं हर कई धैं मिलूँ।

सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ज्यू छन।

सवाल05◆ आपूं हिंदी और कुमाउनी'क को-को विधाओं में आपणि कलम चलूंछा और आपणि लिखणेकि मनपसंद विधा के छ?
जवाब● कविता, गीत, खंडकाव्य, निबंध और लघु कथा। यौ सबै पसंदीदा'ई छन।

सवाल06◆ अछा आपुण हिंदी और कुमाउनी में किताब लै प्रकाशित हैरयी? उनर नाम कि -कि छन? और उ को-को विधा में छन।
जवाब● (१) 'हरूहित मालू' (कुमाउनी काव्य)-2002,
(२) 'दूनागिरि महिमा' (हिंदी भक्ति रचना काव्य में)-2007,
(३) 'पहाड़ाकि चिट्ठी' (कुमाउनी कविता संग्रह)- 2011.

सवाल07◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● आपुण आस-पासा लोग सम्मान करनी, भल माननी बकाय कि चैंछ। होय कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति प्रसार समिति कसार देवी अल्माड़ द्वारा कुमाउनी भाषा साहित्य सेवी सम्मानल सम्मानित करौ 2017 में।

सवाल08◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● किस्स के एक याद छ। हमार हाईस्कूल में एक सहायक प्रिंसिपल छी श्री प्रयाग दत्त पुजारी, जनूल हिंदी में व्यायाम पर एक निबंध लिखण हूं देछ। मैंन बढिया कनै आपण मनल निबंध लिखौ और उमें कुछ दोहे लै आपण मनल बणैबेर लिखी दी। जब उनून कौपी जाँचै त उननकें उ निबंध भौत पसंद आ। तब उनून पुरी कक्षा'क सामणी वीक विश्लेषण करौ और मैंकें आपण पास बुलै बेर कौछ कि तुम भविष्य में कुछ लिखि सकछा। यैकें छोड़िया झन। उनून म्यार ख्वार में हाथ धरिबेर आशिर्वाद देछ। यौ सन 1970 की बात छ। तीस साल बाद उ आशिर्वाद मैं हूँ फलीभूत हौ। मैं लिखण लागियूँ। सन् 2000 बटी।

सवाल09◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन एक-एक नाम बताओ?
जवाब● उसिक तो भौत छन एक कूंण में। कुमाउनी में शेरदा अनपढ और
हिंदी में- तुलसी दास ज्यू।

सवाल10◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं जादे खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● यस विशेष के नि छ। म्यर मन हमेशा एक जसै रौ।

सवाल11◆ नवोदित लेखक व रचनाकारों हूं कि कूंण चाला?
जवाब● सब लागी रयी आपण-आपण ढंगल बढिया छ। जो पुराण बढिया लेखक छन उनरी रचनान कें खूब पढो। और भल हैं भल लिखणैकि कोशिश करण चैं।

सवाल12◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● खालि नि बैठो कर्म करते रओ।

सवाल13◆ आपुण मन पसंद पहाड़ि खाणु के छ?
जवाब● उसिक त सबै चीज पसंद छ। हरी साग सब्जी भल मानूँ मैं।

सवाल14◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वाली क्वे रचना?
जवाब● होय रचनाएं लिखते रूनूं आई लै। कुमाउनी में एक पद्य और एक गद्य किताबा बराबर रचना है गई। कभैं मौक लागलौ प्रकाशित ह्वाल अघिलाँ हैं।

सवाल15◆ आपूं टीवी में के देखण भल मानछा?
जवाब● टीवी में जादे समाचारै देखण पसंद करूँ।

सवाल16◆ अच्छा आपूं सामाजिक काम लै कराते रूँछा त उननमें कि-कि करछा आपूं?
जवाब● हमरि गौं में एक ग्राम कल्याण समिति छ। वी सहयोगल कुछ चंदा वगैरह इकट्ठ करिबेर और कुछ आपण जेब बटी लगैबेर गौं में मंदिर निर्माण, बा्ट बणूंन, बरसाती पाणि रोकण हूं खाल निर्माण आदि सार्वजनिक काम कराते रूँ। सन् 2014 बटी आपुण गौंक सरपंच लै छूँ वी अंतर्गत लै काम कराते रूँ।

सवाल17◆ आपण पुर कुमाउनी समाज हूँ क्वे संदेश?
जवाब● जो लोग पहाड़ बटी भ्यैर बसि गई उननहूं कूंण चां कि आपण गौं घर पहाड़ में लै आते रहो आपुण पुराण् घरनैकि मरम्मत कराओ। किलैकि हमार पहाड़ेकि जै आबो हवा कें न्हाँतीन तबै हमार पहाड़ धैं स्वर्ग कई जाँ। हमरि कुमाउनी कें बुलाणी लोग कम होते जनयी हमन कोशिश करण चैं आपणि बोलि भाषा संरक्षण में।

सवाल18◆ अच्छा आपूं त बैर भगनौला बा्र में लै जाणछा। यौ बैर भगनौल के भाय जरा बताला?
जवाब● बैर● बैर (वाक युद्ध) आपणि बोलि भाषा में शास्त्रार्थ जस छू। बैरी कौतिकों में एकबटी बेर हुड़ुक, चिमट दगड़ जोड़-पाँठ कैई बाद एक मुख्य पद गानी, सवाल-जवाब करनी। बैर को विषय पर हैंल यो पूर्व निर्धारित नि हन, इमें जाति धर्म,श्लोक-शास्त्र, नीति-रीति, वेद-पुराण, राग-द्वेष, किस्स-कहाणि, चुटकुल गद्य या पद्य द्वीनू मजी म्यसै बेर सवाल-जवाब करनी। बैरियांक ज्ञान, विवेक, सहूर, लय, ताल, तुक, गइ, वाकपटुता, अनुभव, स्वभाव, हाजिर जवाबी और सवाल-जवाबूंक लोग आनंद ल्हिनी।
भगनौल● भगनौल में लै सब कुछ सवाल-जवाब बैर जसै हनी, फरक इतुकै छू, भगनौल देब खैइ या क्वे शौकीनदारा'क घर गाई जानी, भगनौली न्योती जानी। भगनौल में जोड़-पाँठ कैई बाद द्वी तीन झण ह्योव लगानी। भगनौल में हुड़ुककि जरवत लै न पड़नि। लय-बैर हैबेर जरा धीमा और माठु-माठ हुंछ। जकैं सुणिबेर वियोगी-वैरागी मन कैं छपि-छपि लागैं।

सवाल19◆ क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● पुराण साहित्य, संस्कृति आजकि साहित्य'कि जननी छू। देश, भेष, भाषा बदलि जानी, मैं-बाप न बदलीन। पेड़ कैं काटि दिनी पुंग फुट जानी, पात न बदलीन। पहाड़कि आंचलिक कला, साहित्य, संस्कृति, खाण, थात और पहाड़ाक मनखी आदि यौ सब देवभूमि'क लोगन् कैं विरासत में मिलि अमानत छन। इननकें बचाई रखण चैं।।धन्यवाद।।

धन्यवाद महोदय भौत भल लागौ आपूं दगै बात करिबेर।

प्रस्तुति~राजेंद्र ढैला काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि राजेंद्र ढैला जी के बारे में जानने के लिए
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